राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत इन दिनों काफी चर्चा में है। अध्यक्ष पद चुनाव लड़ने से उन्होंने बीते दिन मना कर दिया है, जिसके बाद अब मल्लिकार्जुन खड़गे चुनाव लड़ने वाले है और उन्हें गहलोत ने समर्थन भी दिया है। गहलोत को लेकर पिछले कई समय से चर्चा हो रही थी कि वो चुनाव लड़ेंगे लेकिन अंतिम समय पर वो पीछे हट गए थे, जिसके बाद अब सब यही जानना चाहते थे कि उन्होंने ऐसा क्यों किया। अब गहलोत ने इस सवाल का जवाब दे दिया है।
पार्टी नेतृत्व के फैसले को कभी नहीं नकारा : गहलोत
दरअसल, गहलोत ने मीडिया को बताया कि जब अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ने के लिए उनसे कहा गया तो वो मान गए। उन्होंने कभी भी पार्टी नेतृत्व के फैसले को नकारा नहीं था। लेकिन, जब राजस्थान सीएम किसी और को बनाने की बात आई तो उनके कुछ समर्थक तैयार नहीं हुए थे, जबकि ये उनकी जिम्मेदारी थी कि विधायक दल की बैठक में प्रस्ताव पारित करवाएं , लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।
राजस्थान में जो भी हुआ उसका खेद है : गहलोत
बता दें, गहलोत ने अपने बयान में कहा , ‘मुझे खेद है कि कुछ लोगों ने विधायक दल की मीटिंग का बायकॉट किया था, वे जानते हैं कि मेरी भावनाएं क्या हैं। मेरे रहते हुए राजस्थान में यह सब हुआ तो जिम्मेदारी मेरी थी। इसलिए मैंने माफ़ी मांग ली और अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ने से मना कर दिया था।
मेरे लिए पार्टी को साथ रखना जरूरी : अशोक गहलोत
इसी के साथ जब गहलोत से राजस्थान के नए सीएम के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा ,’ मैंने हमेशा कहा कि मेरा बस चले तो कोई पद ना लूं। आज हालात बेहद खराब हैं, लेकिन अब मैं कोई पद छोड़कर जाऊंगा तो लोग कहेंगे मैंने पार्टी का साथ छोड़ दिया। मुझे पार्टी नेतृत्व की तरफ से जो जिम्मेदारी आज तक मिली है। मैंने उसे हमेशा निभाया है। मेरे लिए पार्टी को साथ रखना जरुरी है। ना की पद पर बैठना। राहुल गांधी देश की भलाई के लिए यात्रा पर निकल चुके है। हम सब उनके साथ है। ‘