राजस्थान के कोटा शहर के जेके लोन सरकारी अस्पताल में कुछ ही घंटे के अंतराल पर 9 नवजात बच्चों की मौत के बाद हड़कंप मचा हुआ है। अधिकारियों ने बताया कि जेके लोन अस्पताल में एक से चार दिन के पांच बच्चों की मौत बुधवार रात हो गई, जबकि चार बच्चों की मौत गुरुवार को हो गई। इस मामले को लेकर राज्य बीजेपी गहलोत सरकार पर हमलावर हो गई।
प्रदेश बीजेपी ने नवजातों की मौत के मामले को लापरवाही का नतीजा बताते हुए कहा, इस घटना के दोषियों को तुरंत चिन्हित करके उनपर कार्यवाही करनी चाहिए। नाईट ड्यूटी स्टाफ इसलिए सो रहा था क्योंकि इन पर नियंत्रण रखने वाली राजस्थान की सरकार भी पिछले लगभग 2 साल से सो ही रही है।
वहीं पीड़ित परिवारों ने भी अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। जिसपर अस्पताल प्रबंधन ने अपनी सफाई देते हुए घटना में जांच के आदेश दिए हैं। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने इस संबंध में अस्पताल से रिपोर्ट मांगी है। रघु शर्मा ने कहा, “9 नवजात शिशुओं ने अपनी जान गंवाई है, जिनमें से 3 को मृत लाया गया। मैंने निर्देश जारी किए हैं कि किसी भी परिस्थिति में किसी भी नवजात शिशु का जीवन नहीं खोना चाहिए।
सीएम और सरकार इस मुद्दे को बहुत गंभीरता से ले रही है। इस अस्पताल में बच्चों की मौत का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले पिछले साल दिसंबर में जेके लोन अस्पताल चर्चा में आया था, जब यहां पर 100 बच्चों की मौत हो गई थी। इसको लेकर गहलोत सरकार की काफी आलोचना हुई थी।
अब गहलोत सरकार इस मामले को संजीदा से देख रही है। बच्चों की मौत की जानकारी मिलने के बाद गुरुवार को डिवीजनल कमिश्नर केसी मीणा और कोटा के जिलाधिकारी उज्ज्वल राठौड़ ने अस्पताल का दौरा किया। जिसके बाद एक मीटिंग बुलाई गई। कमिश्नर ने स्वास्थ्य प्रशासन को फौरन 6 अतिरिक्त डॉक्टर और 10 नर्सों को तैनात करने और स्थिति पर नजर बनाए रखने के निर्देश दिए। साथ ही शुक्रवार तक एक नया वार्ड बनाने को भी कहा।
अस्ताल के सुप्रीटेंडेंट सुरेश दुलारा ने कहा कि सभी बच्चों की मौत सामान्य है। उनकी मौत किसी इंफेक्शन या अन्य बीमारी से नहीं हुई है । कोटा मेडिकल कॉलेज की ओर से स्वास्थ्य मंत्रालय जो रिपोर्ट भेजी गई है उसके अनुसार, तीन नवजात जब अस्पताल लाए गए थे, तो वो पहले से मृत थे। अन्य की मौत भी सामान्य थी।