संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की कड़ी आलोचना करते हुए भारत ने कहा दुनिया जानती है कि 2008 में मुंबई में, 2016 में पठानकोट में और 2019 में पुलवामा में हुए आतंकवादी हमलों को अंजाम देने वाले अपराधी कहां से आते हैं और यह दुख की बात है कि इस प्रकार की कायराना करतूत करने वाले पड़ोसी देश के सहयोग एवं आतिथ्य सत्कार का आनंद ले रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन के काउंसलर राजेश परिहार ने सोमवार को कहा कि ठीक तीन साल पहले 14 फरवरी, 2019 को 40 बहादुर भारतीय सुरक्षा कर्मी पुलवामा में किए गए जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के कायराना आतंकवादी हमले में शहीद हुए थे। परिहार ने दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के सदस्य देशों के साथ आतंकवाद-रोधी समिति के कार्यकारी निदेशालय (सीटीईडी) के काम पर खुली चर्चा के दौरान भारत का राष्ट्रीय वक्तव्य देते हुए कहा, दुनिया 2008 में मुंबई आतंकवादी हमले, 2016 में पठानकोट आतंकवादी हमले और 2019 में पुलवामा आतंकवादी हमले की भयावहता की साक्षी बनी। हम सभी जानते हैं कि इन हमलों को अंजाम देने वाले हमलावर कहां से आए थे।
पीड़ितों को अभी तक न्याय नहीं मिल पाया है : परिहार
काउंसलर राजेश परिहार ने पाकिस्तान का जिक्र करते हुए कहा कि यह खेदजनक है कि इन हमलों के पीड़ितों को अभी तक न्याय नहीं मिल पाया है और इन हमलों को अंजाम देने वाले हमलावर, इसमें सहयोग करने वाले और आर्थिक मदद देने वाले लोग अब भी आजाद घूम रहे हैं तथा देश के सहयोग एवं आतिथ्य-सत्कार का आनंद ले रहे हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अलकायदा के मारे गए नेता ओसामा बिन लादेन को शहीद कहा था। परिहार ने इसका जिक्र करते हुए कहा, आतंकवाद का यह केंद्र उन आतंकवादी संगठनों को पनाह देता है, जिनका संबंध संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित 150 संगठनों एवं व्यक्तियों से है और इसके नेता आतंकवादियों की अकसर प्रशंसा करते हुए उन्हें ‘शहीद’ कहते हैं। परिहार ने जोर देकर कहा कि भारत इन आतंकवादी हमलों के साजिशकर्ताओं को न्याय के दायरे में लाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
भारत आतंकवाद के खिलाफ सामूहिक वैश्विक लड़ाई में आगे रहा है
परिहार ने कहा कि अब समय आ गया है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय आतंकवाद के केंद्र इस देश से अपने क्षेत्र में सक्रिय और उसके नियंत्रण में काम कर रहे आतंकवादी संगठनों के खिलाफ बिना किसी देरी के प्रभावी, विश्वसनीय, सत्यापन योग्य और मजबूत कार्रवाई करने को कहे। उन्होंने कहा, हमने ईसाइयों, हिंदुओं और सिखों समेत जातीय, सांप्रदायिक और धार्मिक अल्पसंख्यकों पर लगातार आतंकवादी हमले होते देखे हैं। हमारे पड़ोसी देश में अतिवादी विचारधारा के विकास को कट्टरपंथी संगठनों के संरक्षण दिए जाने से बल मिला है। देश द्वारा कट्टरपंथ और सांप्रदायिक विचारधारा को मुख्यधारा में लाने से इस क्षेत्र में आतंकवादी ढांचे के विकास के लिए एक उपयुक्त वातावरण भी उपलब्ध हुआ है। उन्होंने कहा कि भारत आतंकवाद के खिलाफ सामूहिक वैश्विक लड़ाई में आगे रहा है और आतंकवाद को कतई बर्दाश्त’ नहीं करने की नीति पर काम रहा है।
आम नागरिकों और सैन्य ढांचों को निशाना बनाना जारी रखे हुए हैं आतंकी
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवाद रोधी समिति के अध्यक्ष टी एस तिरुमूर्ति ने 2019 की शुरुआत में पुलवामा और श्रीलंका में हुए आतंकी हमलों को याद करते हुए सोमवार को कहा था कि आईएसआईएल, अल कायदा और संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादी समूह और ‘एक देश के भूभाग और सीमा पार से अपनी गतिविधियां संचालित कर रहे लोग, आम नागरिकों और सैन्य ढांचों को निशाना बनाना जारी रखे हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि तिरुमूर्ति ने आतंकवाद निरोधी समिति के अध्यक्ष के रूप में आतंकवाद निरोधी समिति के कार्यकारी निदेशालय (सीटीईडी) के काम की जानकारी देते हुए यह टिप्पणी की।