लुधियाना-गुरूदासपुर : भारत-चीन सरहद पर तैनात जिला गुरूदासपुर के गांव विझंवा के रहने वाले 16 एल ई सिख रेजीमेंट में तैनात हवालदार राजिंद्र सिंह की डयूटी के दौरान बर्फीले गलेशियर पर आक्सीजन की कमी के कारण एक मई को मौत हो गई थी। आज जब शहीद राजिंद्र सिंह की पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव तिरंगे में लपेटकर लाई गई तो परिवारिक वारिसों समेत पूरे गांववासियों की आंखें नम थी।
शहीद राजिंद्र सिंह के पारिवारिक सदस्यों भूपिंद्र सिंह और सुलखन सिंह सोनू ने बताया कि बीती एक मई को सेना के यूनिट से पहले उनकी सेहत खराब होने के बारे में फोन आया था, उसके बाद उसकी मौत होने की पुष्टि हुई। उन्होंने यह भी कहा कि उनका 35 वर्षीय भाई हर किसी को सेना में भर्ती होने की प्ररेणा देता रहता था।
आज राजिंद्र सिंह का अंतिम संस्कार उसके गांव सरकारी सम्मान के साथ किया गया, जहां 24 सिख रेजीमेंट जवानों की टुकड़ी ने सलामी दी। इस दौरान जिला प्रशासन की तरफ से पहले कोई अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। लंबे इंतजार के उपरांत तहसीलदार लक्ष्मण सिंह के पहुंचने पर शहीद की अंतिम रस्में पूरी की गई। इस बात को लेकर पारिवारिक सदस्यों और गांववासियों द्वारा रोष जाहिर किया गया है।
राजिंद्र सिंह अपने परिवार में माता-पिता और पत्नी और 2 बच्चे छोड़ गया है। राजिंद्र सिंह के 8 वर्षीय बेटे सराज ने भावुक होते हुए बताया कि आखिरी बार पिता के साथ बात होने पर उन्होंने इस बार छुटिटयों में आकर उसको घुमाने ले जाने का वायदा किया था, जो अब कभी भी पूरा नहीं होगा। इस दौरान 11 वर्षीय बेटी गुरलीन छोटे भाई को सात्वना देते दिखी। शहीद की विधवा ने रोते हुए बताया कि उसके पति ने 17 साल तक देश की सेवा की है और अब देश के लिए ही सेवा के दौरान शहीद हुए है।
– सुनीलराय कामरेड
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