गणतंत्र दिवस पर किसानों द्वारा नए कृषि कानून के विरोध में आयोजित ट्रैक्टर रैली के दौरान कथित तौर पर पुलिस कर्मियों पर हमला करने के मामले में लक्खा सिधाना को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत मिली है। दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को अपना फैसला सुनाते गैंगस्टर से कार्यकर्ता बने सिधाना को राहत प्रदान की।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शिवाजी आनंद ने 19 जुलाई तक दंडात्मक कार्रवाई से सुरक्षा प्रदान करते हुए उसे जांच में शामिल होने का निर्देश दिया है। अदालत ने तीन दिन पहले उसे गणतंत्र दिवस हिंसा से जुड़े एक और मामले में तीन जुलाई तक गिरफ्तारी से अंतरिम राहत प्रदान की थी।
दिल्ली पुलिस ने पूर्व में सिधाना के बारे में सूचना देने वाले को एक लाख रुपये का पुरस्कार देने की घोषणा की थी। गिरफ्तारी के डर से, उसने दोनों मामलों में अग्रिम जमानत के लिए दिल्ली की रोहिणी कोर्ट में याचिका दायर की थी। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति (डीएसजीएमसी) की कानूनी टीम इस मामले को देख रही है।
सिधाना की तरफ से अधिवक्ता राकेश चहार, जसप्रीत राय, वीपीएस संधू, जसदीप एस ढिल्लों, एपीएस मंदर, प्रतीक कोहली और संकल्प कोहली के साथ वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश गुप्ता सीनियर ने अदालत में पक्ष रखा। एफआईआर के मुताबिक इस साल 26 जनवरी को सिंघू बॉर्डर से प्रदर्शनकारी जीटी करनाल रोड पहुंचे, जहां उन्होंने पुलिस के बैरीकेड उखाड़ दिए, तलवारों के साथ दंगा किया और मारने के इरादे से पुलिस अधिकारियों की तरफ अपने ट्रैक्टर दौड़ाए।
इसमें कहा गया, “पुलिस ने हस्तक्षेप कर उन्हें रोकने की कोशिश की। प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पानी की बौछार छोड़ी गई और आंसू गैस के गोले दागे गए। भीड़ ने आंसू गैस के गोले वापस पुलिस की तरफ फेंकेने शुरू कर दिए।” इस घटना में कई पुलिसकर्मी और डीटीसी का एक बस चालक घायल हुआ। पुलिस निरीक्षक अनिल कुमार की शिकायत पर दर्ज की गई प्राथमिकी के मुताबिक प्रदर्शनकारियों ने अपने नियोजित उद्देश्य के साथ, किसान संघों द्वारा तय मार्गों से अलग रास्ता चुना और हिंसा की।