नई दिल्ली : एनजीटी ने दिल्ली सरकार की 20 हजार लीटर मुफ्त पानी देने की योजना पर सवाल खड़े किए हैं। एनजीटी द्वारा रिटायर्ड जस्टिस एसपी गर्ग की अध्यक्षता में गठित मॉनिटरिंग कमेटी की रिपोर्ट पर एनजीटी ने माना है कि इस योजना का दुरुपयोग हो रहा है। एनजीटी ने कहा है कि पानी के दुरुपयोग के चलते सरकारी फंड का भी नुकसान हो रहा है।
गर्ग की अध्यक्षता में गठित मॉनिटरिंग कमेटी ने बताया कि दिल्ली में तकरीबन 17062 अवैध बोरवेल है। कमेटी ने यह भी बताया है अवैध रूप से लगातार जमीन से पानी खींचने की वजह दिल्ली एनसीआर में पानी का स्तर लगातार नीचे जा रहा है। कमेटी ने सुझाया है कि अवैध रूप से चल रहे बोरवेल को रोकने के लिए 10 हजार रुपए से लेकर एक लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जाना चाहिए।
जल बोर्ड को एनजीटी ने इस मामले में एक्शन प्लान तैयार करने को कहा है ताकि अवैध रूप से चल रहे बोरवेल को दिल्ली में रोकना संभव हो सके। एनजीटी ने पटपड़गंज इंडस्ट्रियल एरिया में चल रहे 400 बोरवेल को लेकर भी चीफ सेक्रेटरी को मामले को देखने के निर्देश दिए हैं। एनजीटी ने फिलहाल कमेटी को निर्देश दिया है कि 1 नवंबर में अपनी दूसरी रिपोर्ट भी कोर्ट के सामने रखे जिससे साफ हो सके कि 2019 में दिल्ली में अवैध बोरवेल की कुल संख्या कितनी है और इस पर लगाम लगाने के लिए दिल्ली जल बोर्ड क्या-क्या सख्त कदम उठाने की तैयारी कर रहा है।
कमेटी ने एनजीटी ने रिपोर्ट में बताया था कि दिल्ली सरकार की इस स्कीम का हाउसिंग सोसाइटियां दुरुपयोग कर रही हैं। कमेटी ने एनजीटी को बताया कि 20 हजार लीटर मुफ्त पानी का लाभ उठाने के बाद कई सोसाइटियां भूजल निकालना शुरू कर देते हैं।