नई दिल्ली : राज्यसभा का गत वर्ष 15 दिसंबर से शुरू हुआ शीतकालीन सत्र आज अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया और इस दौरान उच्च सदन में हंगामे के कारण कामकाज के 34 घंटों का नुकसान हुआ तथा सभापति एम वेंकैया नायडू ने इस पर चिंता जताते हुये कहा कि बाधायें लोकतंत्र का हिस्सा नहीं हैं। नायडू ने सदन में कामकाज के घंटों में इजाफे पर प्रसन्नता जाहिर करते हुये काम की गति को आगे भी जारी रखने का भरोसा जताया। उन्होंने कहा हम सभी के लिए यह समीक्षा, स्मरण और आत्मावलोकन करने का विषय है कि हमने सदन की कार्यवाही का संचालन कैसे किया।
उन्होंने सभी सदस्यों को राजनीतिक प्रक्रिया का हिस्सा बताते हुये कहा आप मुझसे इस बात से सहमत होंगे कि भले ही संसद राजनीति का एक महत्वपूर्ण संस्थान है, किन्तु यह विशिष्ट अथो’ में राजनीति का विस्तार नहीं हो सकता, जो गहरे विभाजन और विद्वेष से भरी होती है। वेंकैया नायडू ने इस सत्र के सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं का जिक्र करते हुये कहा कि एक तरफ समूचे सदन ने प्रधानमंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री के उच्च पदों की गरिमा और सम्मान को बरकरार रखने की प्रतिबद्धता का पालन किया, वहीं कार्यवाही के दौरान बाधायें उत्पन्न होने के कारण कामकाज का बहुमल्य समय नष्ट भी हुआ।
उन्होंने सभी सदस्यों से सदन में बहस के दौरान लोकतांत्रिक मर्यादाओं का पालन करने की अपील करते हुये कहा कि सभी को इस बारे में आत्म अवलोकन करना चाहिये। शीतकालीन सत्र की कार्यवाही का ब्योरा पेश करते हुये सभापति ने कहा कि इस सत्र में 13 बैठकें हुयीं। इन बैठकों में बाधाओं और स्थगन के बावजूद नौ सरकारी विधेयकों को पारित करने के अलावा जनहित से जुड़ विशेष उल्लेख के 28 मामले उठाये गये। नायडू ने बताया कि इस सत्र में 19 निजी विधेयक पेश करने के साथ रोजगार के अधिकार को संविधान के तहत मूल अधिकार बनाने की मांग वाले नजी विधेयक पर लंबी चर्चा भी हुयी।
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