नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि आरक्षण मुद्दे का समाधान सहमति और सद्भावना से ही संभव है। आरक्षण के समर्थक और और आरक्षण के विरोधी जब एक-दूसरे के विचारों और नजरिये को ध्यान में रखकर इस मुद्दे पर विचार करेंगे तो इस समस्या का हल एक मिनट में निकल आएगा। उन्होंने कहा कि सहमति और सद्भावना के अभाव में आरक्षण को लेकर बहस और पक्ष-विपक्ष में आंदोलन चलते रहेंगे और कोई समाधान नहीं निकलेगा। सद्भावना से ही यह प्रश्न सुलझ सकता है और संघ समाज में ऐसी ही सद्भावना कायम करने के लिए प्रयास कर रहा है।
संघ प्रमुख रविवार को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास की ओर से आयोजित दो दिवसीय ‘ज्ञानोत्सव- 2076’ के समापन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में एक स्रोता ने संघ प्रमुख से आरक्षण की व्यवस्था के बारे में एक प्रश्न पूछा था। इस सवाल के उत्तर में उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में यह मामला विषय से भटक गया है। उन्होंने प्रश्नकर्ता के इस विचार से असहमति व्यक्त की कि आरक्षण की व्यवस्था समाप्त कर दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि आपकी बात मान ली जाए तो इसके खिलाफ जबरदस्त आंदोलन होगा, फिर आप उस आंदोलन के खिलाफ आंदोलन करेंगे, यह क्रम चलता रहेगा।
जहां तक सरकार का सवाल है वह आंदोलन और विरोध को ध्यान में रखकर ही फैसला करेगी। इग्नू के कुलपति प्रो. नागेश्वर राव ने धन्यवाद ज्ञापन किया। उन्होंने सम्मेलन में भाग लेने और चर्चा किए गए विषयों पर अपने विचार रखने के लिए देश-भर से आए शिक्षाविदों के प्रति आभार व्यक्त किया। प्रो. राव ने इग्नू सहयोगियों और शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के स्वयंसेवकों का भी आभार व्यक्त किया।