दिल्ली पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना द्वारा जेल में सुधारों के लिए दी गई रिपोर्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि, केन्द्र एंव दिल्ली सरकार को मिलकर तिहाड़ जेल के महानिदेशक के साथ सचिव स्तर की बातचीत करनी चाहिए। यह रिपोर्ट तिहाड़ जेल में बंद यूनीटेक के प्रमोटर्स संजय चंद्रा तथा अजय चंद्रा को हाल ही में तिहाड़ जेल के अधिकारियों की तरफ से दी गई सुविधाओं के उजागर होने के बाद पेश की गई है। न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और एम.आर. शाह ने गुरूवार को केन्द्र सरकार और दिल्ली सरकार के बीच तालमेल की कमी को दूर करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए जेल सुरक्षा पर अपने फैसलों, क्रियान्वयन और अब तक उठाए गए कदमों के बारे में एक संयुक्त हलफनामा पेश करने का भी निर्देश दिया।
राज्य सरकार अकेले बना सकती है कानून : अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल माधवी दीवान ने शीर्ष अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि गृह मंत्रालय ने आयुक्त की रिपोर्ट पर विचार किया है और इसके अनुरूप ही निर्णय लिया है। उन्होंने यह भी कहा कि ये सिफारिशें वास्तव में मॉडल कारागार नियमावली 2016 में निहित विभिन्न दिशानिर्देशों और समय-समय पर राज्य सरकारों को केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी अन्य सलाहों की पुनरावृत्ति थी। दीवान ने कहा कि जेल राज्य का विषय है और राज्य सरकार अकेले कानून बना सकती है तथा अपने अधिकार क्षेत्र में जेलों के मामलों में निर्णय ले सकती है। उच्चत्तम न्यायालय ने पिछले साल 10 नवंबर को अस्थाना द्वारा प्रस्तुत सिफारिशों पर कार्रवाई करने में केन्द्रीय गृह मंत्रालय की ओर से की गई देरी पर असंतोष व्यक्त किया था।
कोर्ट ने दिए थे जेल के अधिकारियों के खिलाफ जांच के आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने 6 अक्टूबर, 2021 को एक जोरदार सुनवाई के बाद तिहाड़ जेल के अधिकारियों के तत्काल निलंबन और उनके खिलाफ कार्रवाई तथा मामले की पूर्ण जांच का आदेश दिया था, जिन्हें दिल्ली पुलिस आयुक्त ने चंद्रा बंधुओं को अनुचित सहायता देने के लिए चिन्हित किया था। शीर्ष अदालत ने 26 अगस्त, 2021 को प्रवर्तन निदेशालय की एक रिपोर्ट के बाद चंद्रा बंधुओं को मुंबई की जेलों में स्थानांतरित करने का आदेश दिया। इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि उसे एक गुप्त भूमिगत कार्यालय मिला है, जिसे यूनिटेक के संस्थापक और उनके पिता रमेश चंद्र द्वारा संचालित किया जा रहा था, और उनके दोनों बेटे संजय और अजय पैरोल या जमानत के दौरान इस कार्यालय में गए थे। एजेंसी ने आरोप लगाया था कि यह तिहाड़ जेल अधिकारियों की मिलीभगत से किया गया था।