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ट्रूडो ने तोड़ी चुप्पी, कहा- खालिस्तान समर्थक को न्योता नहीं दिया जाना चाहिए था

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कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की पत्नी सोफी ट्रूडो के खालिस्तानी आंतकवादी जसपाल अटवाल से मिलने वाले मुद्दे पर कनाडा के पीएमओ ने माफी मांग ली है। पूरे मामले पर पीएम ट्रूडो ने कहा कि उसे आमंत्रित करना एक भूल थी जिसे सुधारा लिया गया। ट्रूडो ने कहा कि कनाडा और भारत डिमॉक्रेसी की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध देश हैं, दोनों देश दुनिया की बड़ी डिमॉक्रेसी में से एक है।

वहीं विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि कनाडा ने उसे दिया आमंत्रण कैंसल कर दिया है, लेकिन उसे वीजा कैसे मिला यह पता नहीं चल पाया है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वह दोषी साबित हो चुके खालिस्तानी आतंकवादी जसपाल अटवाल को वीजा जारी करने के मामले में अपने मिशन से जानकारी हासिल कर रहा है।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्ट‍िन ट्रूडो की भारत यात्रा को जिन खालिस्तानी चरमपंथियों के समर्थक देश होने के कारण भारत सरकार ज्यादा तवज्जो नहीं दे रही थी, उसी एक खालिस्तानी आतंकी के मुंबई में ट्रूडो परिवार के साथ देखे जाने के बाद विवाद बढ़ गया है, अब यह नया घटनाक्रम दोनों देशों के बीच तनाव का कारण बन सकता है।

इस बीच यह जानकारी सामने आने से भारतीय खुफिया तंत्र हैरान है। खालिस्तानी आंदोलन के एक आतंकी जसपाल अटवाल को भारत में कनाडाई पीएम जस्ट‍िन के परिवार के साथ देखा गया है और उसे कनाडा के पीएम को दिए जाने वाले डिनर में भी आमंत्रित किया गया था। हालांकि बढ़ते विवाद को देखते हुए कनाडा के उच्चायुक्त नादिर पटेल ने डिनर के लिए आतंकी का न्योता कैंसिल कर दिया। पटेल ही कनाडा के पीएम और उनके प्रतिनिधियों के लिए डिनर की मेजबानी कर रहे हैं।

क्या है खालिस्तान का विवाद?

पंजाब में कुछ लोगों ने 1980 के दशक में खालिस्तान नाम से अलग देश बनाने की मांग की थी। इसके लिए उन्होंने भारत विरोधी हिंसक आंदोलन किए। 1984 में भारतीय सेना ने स्वर्ण मंदिर में घुसकर वहां छिपे खालिस्तान सपोर्टर्स पर कार्रवाई की। इसके बाद धीरे-धीरे यह आंदोलन खत्म हो गया।

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