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इंसान हों या जानवर- आशियाना सबको चाहिए

अपनी सुरक्षा के लिए और रहने के लिए इंसान घर की कल्पना करते हुए इसे साकार करता है, तो जानवर भी अपने ठिकाने सुरक्षित चाहते हैं और जब जानवरों के ठिकने सुरक्षित नहीं रहते तो वह शहर की तरफ रुख करते हैं।

अपनी सुरक्षा के लिए और रहने के लिए इंसान घर की कल्पना करते हुए इसे साकार करता है, तो जानवर भी अपने ठिकाने सुरक्षित चाहते हैं और जब जानवरों के ठिकाने सुरक्षित नहीं रहते तो वह शहर की तरफ रुख करते हैं। अभी दो दिन पहले गाजियाबाद जिला कोर्ट में एक तेंदुआ दोपहर को घुस आया और आनन-फानन में उसने 10 लोगों को घायल कर दिया। हालांकि वन विभाग और पुलिस की टीमों ने मिलकर कड़ी मशक्कत के बाद तेंदुए को पकड़ लिया, जिसे बाद में शिवालिक की पहाड़ियों में छोड़ दिया गया। यह घटना अपने आप में बहुत बड़ा संदेश दे रही है, जो जानवरों से जुड़ी है, जंगली जानवर चाहे  तेंदुआ, शेर हो, या फिर नीलगाय हो अक्सर उनके शहरों में आ जाने की खबरें एक बड़ा संदेश देकर जा रही हैं। आखिरकार ये जंगली जानवर शहरों में आ रहे हैं और इनकी एंट्री मानव के लिए खतरा बन रही है, तो हमें कुछ न कुछ करना ही होगा। पिछले दिनों इस मामले पर अनेक लोगों ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। शहर में तेंदुआ आ जाने की खबर साधारण नहीं है, बहुत चौंकाने वाली बात है। अब समय आ गया है कि जंगल जितनी तेजी से खत्म हो रहे हैं, इस विषय पर कुछ करना होगा। जंगल खत्म हो रहे हैं। जानवरों के प्राकृतिक ठिकाने खत्म हो रहे हैं, तो ऐसे में उनका शहरों में प्रवेश करना मानवीय जीवन में अतिक्रमण जैसा है।
इसी कड़ी में अगर बंदरों की बात की जाए तो दिल्ली के अनेक वीआईपी इलाकों में यहां तक कि लुटियन जोन में बंदरों के झुंड बैठे रहते हैं।  रिज एरिया बंदरों का सबसे बड़ा जंगल है लेकिन वहां भी सड़कों पर बंदरों का जमावड़ा रहता है। और कई दुर्घटनाओं के बारे में सुर्खियां बनती रहती हैं। लोगों का धार्मिक महत्व अलग बात है, जबकि मानवीय सुरक्षा भी बहुत जरूरी है, हमें इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे और वन विभाग की जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि उसके पास जानवरों के विशेष रूप से शेर या तेंदुए के गायब हो जाने का पूरा रिकार्ड होना चाहिए। ताकि जिस इलाके में जानवर भागा है वहां के लोगों को सतर्क किया जा सके। सवाल यह है कि जीवों की सुरक्षा भी मानव का ही धर्म होना चाहिए। यद्यपि केन्द्र सरकार हो या राज्य सरकारें या उनके ​वन विभाग वे अलर्ट तो हैं लेकिन यह भी सच है कि जंगली जानवरों के ​शहरों में घुसने की घटनाएं भी ज्यादा बढ़ रही है। इसी साल जनवरी 2023 में भोजपुर के दिल्ली-मेरठ एक्सप्रैस-वे पर तेंदुआ दिखा था, वह एक व्हीकल से टकरा कर मारा गया। 2022 में उत्तराखण्ड के तीन नगरों में तेंदुए के घुसने की खबर आई। 2021 में मंसूरी स्थित गंग नहर ​के किनारे तेंदुआ देखा गया था। वह कहां गया इसके बारेे में किसी विभाग ने स्पष्ट नहीं किया। इसी कड़ी में वर्ष 2020 में राजनगर सैक्टर-10 में एक तेंदुआ देखा गया था। हिमाचल के अनेक नगरों में जंगलों में रहने वाले तेंदुए और अन्य जंगली जानवर गांव में रहने वाले पालतू पशुओं को अपना शिकार बनाते रहते हैं। इसी तरह 2022 में नोएडा में तेंदुआ देखे जाने की खबर आई थी। 
अगर शहरों में वृक्ष काटने को लेकर जबरदस्त सख्ती है तो जंगलों का अवैध कटान भी रोकना होगा। विकास की खातिर वृक्ष कटाई को लेकर समाज ने आंदोलन तक देखे हैं, परन्तु जंगली जानवरों के सबसे सुरिक्षत ठिकानों अगर जंगलों के रूप में उन्हें कौन और क्यों तथा किस मंशा के साथ काट रहा है। इसका पता लगाना होगा। वरना दो दिन पहले गाजियाबाद कोर्ट में तेंदुए जैसे हादसे होते रहेंगे। सभी 10 लोगों की हालत नाजुक है, इनमें महिलाएं भी हैं। सबकी सुर​क्षा बहुत जरूरी है। हमारा देश अगर इंसान की सुरक्षा को लेकर कानून बनाता है तो जानवरों के सुरक्षित रहने को लेकर बने हुए कानूनों के प्रावधान को लागू करना होगा। और दोषियों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए। इस तरह की घटनाएं घातक हैं और जल्द ही कुछ करना होगा। इस दिशा में सरकार के उदार एवं कड़े एक्शन का इंतजार रहेगा यही समय की मांग है। हालांकि जंगली पशु-पक्षियों के शिकार तक पर प्रतिबंध है। तो इस दिशा में जंगल काटे जाने को गंभीर चिंतन और गंभीर एक्शन का इंतजार है।

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