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पीटी ऊषा की चुनौतियां

दिग्गज धाविका पीटी ऊषा भारतीय ओलिम्पिक संघ की पहली महिला अध्यक्ष पद पर आसीन हो चुकी हैं।

दिग्गज धाविका पीटी ऊषा भारतीय ओलिम्पिक संघ की पहली महिला अध्यक्ष पद पर आसीन हो चुकी हैं। इसके साथ ही भारतीय खेल प्रशासन में नए युग की शुरूआत हो गई है। उनके नाम के साथ एक और उपलब्धि यह जुड़ गई है कि वह आईओए के 95 साल के इतिहास में अध्यक्ष बनने वाली पहली ओलिम्पियन और पहली अन्तर्राष्ट्रीय पदक विजेता है। पीटी ऊषा  का अध्यक्ष चुना जाना पिछले महीने ही तय हो गया था क्योंकि किसी ने भी उनका ​िवरोध नहीं किया था। अध्यक्ष पद के लिए वह ही एकमात्र प्रत्याशी थीं। पीटी ऊषा के अध्यक्ष चुने जाने से आईओए में गुटबाजी के चलते पैदा हुआ संकट भी खत्म हो गया। अन्तर्राष्ट्रीय ओलिम्पिक समिति ने इस महीने चुनाव नहीं कराने की दशा में आईओए को निलम्बित करने की चेतावनी दी थी। जिस दौर में ऊषा ने खेलों में बेहद दिलचस्पी दिखाई थी  उस दौर में लड़कियों का खेल से जुड़ने का मतलब अपने और अपने परिवार पर लांछन लगाना होता था। खेलों में पीटी ऊषा  की दिलचस्पी देखने के बाद लोग उनके घर के बाहर पत्थर फैंका करते थे और  उसका मजाक उड़ाया करते थे। आज वही पीटी ऊषा आईओए की अध्यक्ष बन चुकी हैं। भाजपा ने जुलाई में उन्हें राज्यसभा में मनोनी​त किया था।
सीधे शब्दों में कहें तो पीटी ऊषा अपने आप में एक पथप्रदर्शक हैं। ट्रैक स्पर्धाओं में अपने प्रदर्शन से 1980 के दशक में लगभग मरणासन्न भारतीय एथलेटिक्स  पुनर्जीवित करने से लेकर देश की शीर्ष खेल संस्था भारतीय ओलिम्पिक संघ (आईओए) के अध्यक्ष पद पर काबिज होने तक इस दिग्गज ने लाखों को प्रेरित करना जारी रखा है। अधिकांश लोग उन्हें उनकी जीत के असंख्य लम्हों के लिए नहीं​ बल्कि खेल के सबसे भव्य मंच ओलिम्पिक में एक दिल तोड़ने वाली हार के लिए याद करते हैं। उन्होंने संन्यास लेने के 22 साल बाद आईओए की पहली महिला अध्यक्ष बनकर फिर से इतिहास रचा। प्यार से ‘पय्योली एक्सप्रेस’ कहलाने  वाली ऊषा ने अपने दो दशक लम्बेे शानदार करियर के दौरान कई उपलब्धियां हासिल की। चौथी कक्षा में केरल के पय्योली में अपनी सीनियर स्कूल की फर्राटा चैम्पियन को हराने वाली दुबली-पतली छात्रा से लेकर 1980 में राष्ट्रीय खेलों में हिस्सा लेने वाली और फिर 16 साल की उम्र में मॉस्को ओलिम्पिक में देश का प्रतिनिधित्व करने वाली ऊषा ने लम्बा सफर तय किया है।
आईओए की कमान पीटी ऊषा के हाथों में आने से खिलाड़ियों, खेल संघों और खेल प्रे​मियों में नया उत्साह देखने को मिल रहा है। उनसे बहुत सारी उम्मीदें भी जुड़ गई हैं। वह महाराजा यादवेन्द्र सिंह के बाद आईओए की प्रमुख बनने वाली पहली खिलाड़ी हैं। यादवेन्द्र सिंह ने 1934 में एक टैस्ट मैच खेला था और वह 1938 से 1960 तक आईओए के अध्यक्ष रहे थे।
अध्यक्ष बनने के बाद उनके सामने चुनौतियां भी कोई कम नहीं हैं। एक तरफ उनके प्रशासनिक कौशल की परीक्षा होगी। वहीं संगठन की प्रतिष्ठा को फिर से बहाल करना भी बड़ी चुनौती होगी। कौन नहीं जानता कि खिलाड़ियों के चयन को लेकर कई बार विवाद खड़े हो चुके हैं। खेल संघों से लेकर आईओए तक राजनीतिज्ञों का कब्जा रहा है। खेल संघों पर काबिज राजनीतिज्ञों पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगते रहे हैं। दरअसल राजनीतिज्ञों ने खेलों को अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाने और दुनियाभर में सैर सपाटे का सुनहरा अवसर मान लिया था। खेलों में राजनीतिक दखलंदाजी के चलते ही भारत को कई बार अपमान के घूंट भी झेलने पड़े हैं। यह मांग काफी अरसे से चली आ रही थी कि खेल संघों की कमान उन्हें ही सौंपी जानी चाहिए जिन्हें खेलों का अच्छा खासा अनुभव हो। आईओए का नया संविधान भी तैयार किया गया। नए संविधान के तहत ही भारत के किसी भी नागरिक के लिए आईओए के चुनाव लड़ने के लिए दरवाजा खोल दिया गया था, यदि वह राष्ट्रीय खेल संघों और उत्कृष्ट योग्यता वाले खिलाड़ियों के प्रतिनिधियों से बने निर्वाचक मंडल में हैं, जिन्हें नवगठित खिलाड़ी आयोग द्वारा चुना गया था। वर्ष 2000 में संन्यास लेने के बाद भी पीटी ऊषा ने अपने गांव में एथलेटिक्स अकादमी खोली जहां वह होनहार एथलीटों के मार्गदर्शक के रूप में ट्रैक एवं फील्ड के साथ अपना जुड़ाव जारी रखे हुए है।
पिछले ओलिम्पिक खेलों में भारतीय खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन के बाद केन्द्र सरकार ने अगले ओलिम्पिक की तैयारियों के लिए विशेष जोर दे रखा है। पीटी ऊषा से उम्मीद है कि संघ बिना पक्षपात के प्रतिभाओं की पहचान कर उन्हें तैयार करेगा। अब केन्द्र सरकार ओलिम्पिक की तैयारियों के लिए खुले हाथ से धन खर्च कर रही है। इसलिए आर्थिक संसाधनों की कमी वाली कोई बात नहीं है। पीटी ऊषा प्रतिभा संघ के सदस्यों की अध्यक्ष भी रही हैं। इस तरह उनमें खेल प्रतिभाओं के चयन और  उन्हें निखारने की भावना और जुनून समझा जा सकता है। उम्मीद है कि खिलाड़ियों को पहले से कहीं अधिक उचित ट्रेनिंग और स्वस्थ वातावरण मिलेगा और वे दुनिया में भारत का नाम रोशन करेंगे। सभी खेल संघों को आईओए के साथ तालमेल का निष्पक्ष तरीके से प्रतिभाओं को तैयार करने का काम करना होगा। उम्मीद है कि पीटी ऊषा सभी चुनौतियों को पार करते हुए बड़ी जिम्मेदारी  निभाने में कामयाब होगी।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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