मुसीबत या बीमारी कभी बता कर नहीं आती लेकिन जिस पर आती है तबाही छोड़कर आगे चली जाती है। इस कड़ी में मैं भूकंप को जोड़ रही हूं जो पिछले दिनों तुर्किये में आया और इतना कुछ तबाह कर गया कि वहां संभलना मुश्किल हो रहा है लेकिन एक होकर अगर मुसीबत, बीमारी या भूकंप का सामना किया जाये तो सब कुछ हो सकता है। केंद्र बिन्दु में भारत है जिसकी एनडीआरएफ टीम अर्थात राष्ट्रीय आपदा राहत टीम ने तुर्किये के भूकंप पीडि़त इलाकों में जाकर मानवता की ऐसी तस्वीर पेश की है कि लोग इस टीम को जी भर कर दुआएं दे रहे हैं। यह वही तुर्किये है जिसका कल तक नाम तुर्की था। कोई भी राहत टीम या फिर कोई भी दल बिना किसी टीम वर्क के संभव नहीं है। भारतीय एनडीआरएफ टीम में 14 डाक्टर, 86 पैरा मैडिकल स्टाफ शामिल है जिसने तुर्किये में जाकर भूकंप गुजर जाने के बाद तबाह हुई इमारतों में जिंदगी को तलाशा और घायलों के लिए राहत अस्पताल स्थापित किए और वहां सबका इलाज किया। इस टीम में एक मेजर है वीना तिवारी जो अकेली महिला अधिकारी हैं और उनकी तस्वीरें पूरे तुर्किये में जगह-जगह वायरल हो रही हैं। उन्हें मानवता की देवी कहा जा रहा है। भूकंप आने के चौबीस घंटे बाद ही एनडीआरएफ ने वहां मोर्चा संभाला था और इस राहत टीम ने भूकंप के तीन-चार दिन बाद वहां कई लोगों को जो मलबे में दबे पड़े थे उन्हें बचाया भी। देश की इस बेटी का उल्लेख इसलिए कर रहे हैं कि वह एक मैडिकल आफिसर है और उनके दादा सेना में सूबेदार थे और पिता कुमाऊं इंफेंट्री में कार्यरत थे। कुल मिलाकर राष्ट्र सेवा ही उनका धर्म है।
जिस भूकंप में लगभग बीस हजार लोगों की जान चली गयी हो वहां घायलों को बचाना एक बहुत बड़ा काम था। एनडीआरएफ ने अपने राहत काम को ‘ऑपरेशन दोस्त’ का नाम दिया और मेजर डाक्टर बीना कुमारी ने छोटे बच्चों, महिलाओं, बुजुर्गों का शानदार इलाज और अपने बेहद सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार से सबका दिल जीत लिया। पूरा तुर्किये उसके लिए दुआएं मांग रहा है। इसके साथ ही भारत का मदद के लिए हाथ बढ़ाने का सेना और एनडीआरएफ का जो ऑपरेशन दोस्त था वह सार्थक हो उठा। इस महिला ने जिन घायलों का बड़ी संवेदनशीलता के साथ उपचार किया तो वहां उनके परिजनों ने देखा कि एक महिला हमारे अपनों के लिए इतना कुछ कर रही है। छोटे बच्चों को वह गोदी में उठा रही है, बड़े बुजुर्गों की बात सुन रही है और उन्हें हौंसला दे रही है साथ ही इलाज भी कर रही है यानि दुआ और दवा साथ-साथ काम कर रही है तो फिर उसका लोकप्रिय होना तो बनता है। तुर्किये के लाखों लोगों के बीच यह मानवता की देवी सबका दिल जीत चुकी है। वायरल फोटो में दिखाई दे रहा है कि कितनी ही बुजुर्ग महिलाएं और छोटी बच्चियां उसके गालों पर किस कर रही हैं।
डाक्टर बीना तिवारी देहरादून की रहने वाली हैं। उम्र सिर्फ 28 वर्ष और दिल्ली के आर्मी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंस में ग्रेजुएट है। उनकी टीम जो तुर्किये में तैनात है कर्नल युद्धवीर सिंह की कमांड में वह सेवा कर रही है। उनके पति भी डॉक्टर हैं और मेडिकल ऑफिसर हैं। इंसानियत का इससे बड़ा उदाहरण कोई और स्थापित नहीं कर सकता। सोशल मीडिया पर जिस तरह और जिस सकारात्मकता तथा संजीवता और सम्मान के साथ वीना तिवारी को इतने आशीर्वाद मिल रहे हैं कि वह मानवता की एक नई उदाहरण बन चुकी है। हमारा मानना है कि जब आप परोपकार की भावना के साथ जरूरतमंद के लिए आगे बढ़ते हैं तो भगवान आपका साथ देता है। वीना तिवारी की तरह मैं समझती हूं कि कोरोना के दिनों में भारतवर्ष के डाक्टरों, नर्सों, मैडिकल कर्मियों को मोदी सरकार ने कोरोना वॉरियर घोषित किया था और सब मिलजुल कर डटे रहे और देश से एक बड़ी मुसीबत तथा कोरोना का घातक असर टल गया। सामाजिक जीवन में ऐसी मेडिकल सेवा को विशेष रूप से डाक्टर बीना तिवारी को इस कलम का सलाम है जो घायलों को मरहम पट्टी के साथ-साथ एक डॉक्टर और एक बेटी के रूप में अपना प्यार कुर्बान कर रही हैं। घायल को इसी की जरूरत होती है। देश की इस बहादुर बेटी बीना तिवारी को कोटि-कोटि नमन है।