भारत-यूएई : बैस्ट फ्रैंड्स - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

भारत-यूएई : बैस्ट फ्रैंड्स

यह लेख मैं संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की ख़ूबसूरत राजधानी अबू धाबी से लिख रहा हूँ। यह वही शहर है जहां पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वामीनारायण मंदिर का उद्घाटन किया था। इस मंदिर की ज़मीन यूएई के राष्ट्रपति शेख़ मोहम्मद बिन ज़ायद अल नाहयान ने दान दी थी। यह अबू धाबी का पहला और यूएई का तीसरा हिन्दू मंदिर है। 27 एकड़ में बना यह मंदिर भारतीय वास्तुकला की अद्भुत मिसाल है। इस मंदिर के सात शिखर सात अमीरात के प्रतीक हैं। इस मंदिर का निर्माण वहां की सरकार की उदारता ही नहीं दर्शाता, इसका निर्माण इस बात का भी प्रमाण है कि भारत और यूएई के रिश्ते कितने प्रगाढ़ होते जा रहे हैं और आज वह एक प्रकार से एक दूसरे के बैस्ट फ्रैंडस बन चुके हैं। दोनों के नेताओं के एक दूसरे देश की यात्राएं भी बताती हैं कि दोनों देश कितने नज़दीक आ चुके हैं। पिछले नौ सालों में नरेन्द्र मोदी ने यूएई की सात यात्रा की हैं। अगर देखा जाए कि उनसे पहले 1981 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने वहां की यात्रा की थी और उनके बाद कोई भी प्रधानमंत्री वहां नहीं गया, तो समझ आ जाएगी कि रिश्तों को बदलने और बढ़ाने में नरेन्द्र मोदी की कितनी बड़ी भूमिका है। हैरानी नहीं कि उन्हें यूएई के सर्वोच्च सम्मान से नवाज़ा गया। वास्तव में पांच अरब देशों ने उन्हें सर्वोच्च सम्मान प्रदान किया है।
यूएई में 35 लाख भारतीय रहतें हैं जो लगभग 14 अरब डालर हर साल घर भेजते हैं। अमेरिका (23 प्रतिशत) के बाद यूएई से सबसे अधिक (18 प्रतिशत) पैसा देश में भेजा जाता है। लेकिन इस दोस्ती का यह एक पहलू है। असली बात है कि दोनों देशों के हित सामांतर हो गए हैं। हमें अपने लोगों के लिए रोज़गार चाहिए और उन्हें तरक्की करने के लिए हमारे दिमाग चाहिए। भारत की बढ़ती आर्थिक और बौद्धिक शक्ति इन देशों में हमें आकर्षण का केन्द्र बनाती है। अमेरिका की प्रसिद्ध स्टैनफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के सर्वेक्षण के अनुसार भारत के पास दुनिया में सबसे अधिक एआई (आरटिफिश्यल इंटेलिजेंस) की स्किल है। यह तथ्य दुनिया से छिपा नहीं इसीलिए हमारे विशेषज्ञों और स्किल- प्रोवाइडर की बाहर बहुत मांग है। अबू धाबी में आईआईटी-दिल्ली का कैम्पस खुल रहा है, दोनों देश अंतरिक्ष में अनुसंधान के लिए सहयोग कर हैं। दोनों देश पश्चिम की दखल, धौंस और तिकड़म को भी कम करना चाहते हैं।
यही कारण है कि फाईनेंस, एनर्जी, इंफ्रास्ट्रक्चर, साईंस, मेडिकल जैसे क्षेत्रों में जहां पहले अमेरिकनों और यूरोपियन का दबदबा था वहां धीरे-धीरे उनका जगह हमारे लोग, और कम मात्रा में पाकिस्तानी, ले रहे हैं। खाड़ी के देश तेल के बाद की परिस्थिति का सोच रहे हैं। भारत–यूएई की पार्टनरशिप को भी इस संदर्भ में देखा जाना चाहिए। यह भी दिलचस्प है कि अपने देश में हमारे लोग कितने भी अनुशासनहीन हो, विदेश में उन्हें आदर्श नागरिक समझा जाता है। चाहे वह पंजाबी टैक्सी चालक हो या केरल से वैज्ञानिक, सब क़ानून और नियमों का अक्षरशः पालन करते हैं। यही बात पाकिस्तानियों के बारे नहीं कही जा सकती। उनके देश में जो उथल-पुथल मची रहती है उसके कारण बाहर उनके नागरिकों का महत्व कम हो गया है जबकि स्थिर भारत आकर्षित करता है।
अरब सागर के द्वारा सदियों से अरब देशों और भारत के बीच व्यापार, विचारों और संस्कृति का आदान प्रदान होता रहा है। हम समोसा खाते हैं तो वह ‘सम्बोसा’, अन्दर वहीं आलू होता है ! पर अब रिश्तों का नया रूप देख रहे हैं। दोनों देश एक-दूसरे की मुद्रा में व्यापार करने के लिए तैयार हो गए हैं। UPI और RuPay के यूएई में इस्तेमाल की अनुमति मिलना भी बताता है कि दोनों की अर्थव्यवस्था किस तरह नज़दीक आ रही है। साऊदी अरब के साथ भी हमारे रिश्ते में बहुत बड़ा परिवर्तन आ गया है। जो देश पाकिस्तान की हर शिकायत कि यहां ‘मुसलमानों का उत्पीड़न’ हो रहा है पर आग बबूला हो जाता था, वह धारा 370 हटाए जाने पर ख़ामोश रहा। पाकिस्तान के पतन ने भी हमारी कई मुश्किलें हल कर दीं पर असली बात है कि हित नज़दीक आ रहें हंै। साऊदी अरब भी समझ गया है कि आने वाले भविष्य का सामना करने के लिए उन्हें बदलना होगा और अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए विशेषज्ञ चाहिए और भारत के पास इनका ख़ज़ाना है। डब्बल सेलरी तक कि पेशकश की जा रही है।
सम्बंधों में जो गुणात्मक परिवर्तन आ रहा है इसका एक और कारण है कि अरब देश तेज़ी से उग्रवाद को छोड़ कर उदारता को अपना रहे हैं। अबू धाबी में मंदिर का निर्माण इसका एक प्रमाण है। भारत स्थित उनके राजदूत अब्दुलनासर अलशाली का कहना है कि “यह सहिष्णुता के हमारे मूल्यों के अनुरूप है”। एक जमाना था जब अरब देश, विशेष तौर पर साऊदी अरब, कट्टरवाद और हिंसा निर्यात के लिए कुख्यात थे। हमारे देश में भी मस्जिदें बनाने और मदरसे बनाने के लिए वहां से बड़ा पैसा आता था। दुनिया भर में साऊदी अरब से जिहादी भेजे गए। अल क़ायदा उनके पैसे के बल पर खड़ा हुआ। अमेरिका में 9/11 के हमले में 19 में से 15साऊदी अरब के और 2 यूएई के नागरिक थे।
अब यह सब बदल गया है। निवेश और टूरिस्ट को आकर्षित करने के लिए यह देश तेज़ी से अपनी छवि बदल रहे हैं। यूएई तो बहुत पहले शुरू हो गया था। आज उसे एशिया का सबसे मित्रतापूर्ण देश घोषित किया जा चुका है। दूसरे नम्बर पर मलेशिया है। दिलचस्प है दोनों इस्लामी देश हैं। उनके बाद वियतनाम, फ़िलिपींस और सिंगापुर है। भारत महान मित्रतापूर्ण देशों की क़तार में बहुत पीछे है, पर यह अलग विषय है। मैं अरब देशों में आए सकारात्मक परिवर्तन का ज़िक्र कर रहा हूं। दुबई को दुनिया में पर्यटन के लिए सबसे आकर्षक 5 शहरों में गिना गया। यह समझ लिया गया कि टूरिस्ट या विदेशी आएंगे तो अपना लाईफ स्टाइल भी साथ लाएंगे। सामरिक विशेषज्ञ सी. राजा मोहन लिखतें हैं, “अबू धाबी में स्वामी नारायण मंदिर की स्थापना एक नई महत्वपूर्ण दिशा को दर्शाता है …20वीं सदी की आख़िरी तिमाही में अरब देशों से अतिवादी इस्लामी विचारों के प्रवाह का उपमहाद्वीप पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा था…आज इसकी जगह विशेष तौर पर यूएई और साऊदी अरब में बढ़ रही धार्मिक सहिष्णुता ने ले ली है”। साऊदी अरब 500 अरब डालर से ‘नियोम सिटी’ बना रहा है जो न्यूयार्क से 33 गुना बड़ी होगी। यहां वह शरीयत क़ानून और नियम लागू नहीं होंगे जो बाक़ी देश में लागू हैं। वहां पश्चिमी क़ानून होंगे। अर्थात् खाने पीने, पहरावें पर कोई पाबंदी नहीं होगी। मेरे कहने का अभिप्राय है कि बिकिनी से अल्कोहल सब की इजाज़त होगी !
आशा यह करनी चाहिए कि अरब देशों से जो सामाजिक और धार्मिक सुधार की हवा बह रही है उससे उपमहाद्वीप में धार्मिक अतिवाद के उभार पर रोक लगेगी। अबू धाबी में तो एक ही परिसर मे मस्जिद, चर्च और सिनेगॉग (यहूदी उपासनागृह) बनवा दिए गए हैं। यह दुनिया के लिए बहुत ख़ूबसूरत मिसाल है। यूएई में हमारे पूर्व राजदूत नवदीप सूरी ने उस सरकार के “वैश्विक सद्भाव का आध्यात्मिक केन्द्र बनने के संदेश” का वर्णन किया है। हमें भी इसी रास्ते पर चलना है और देश में साम्प्रदायिक सौहार्द क़ायम रखना है। हमारे लोग छोटी-छोटी बातों पर भड़क उठते हैं, संयम खो बैठते हैं। कम्पनियां चीन छोड़ रही हैं। हम उन्हें आकर्षित कर सकतें हैं लेकिन उसके लिए देश के अन्दर साम्प्रदायिक सद्भाव और शान्ति क़ायम रहनी चाहिए। राम लला के मंदिर के उद्घाटन के समय दोनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी यही संदेश दिया है। इसे ज़मीन तक लागू करने की ज़रूरत है।
यूएई ने शुष्क रेगिस्तान में हरी भरी अर्थव्यवस्था क़ायम कर दी है। बहुत भिन्नता के बावजूद एशियाई संस्कृति में बहुत समानता है। अमीराती भी हमारे लोगों के साथ उस तरह सहज हैं जैसे वह पश्चिमी लोगों के साथ नहीं हो सकते। हमारे लोगों की वहां इज्जत है कि वह विद्वान है, अच्छे सलाहकार हैं, प्रतिभाशाली हैं, जानकार हैं जो स्थानीय लोगों के साथ मिल कर यूएई का भविष्य बना रहें हैं। यूएई द्वारा भारत में अरबों डालर का निवेश हमारी अर्थव्यवस्था को गति दे रहा है। दोनों देश पश्चिम पर बहुत निर्भर नहीं रहना चाहते इसलिए बहुध्रुविय विश्व चाहते हैं। भारत तो सरेआम इसकी वकालत करता है। यह एक परस्पर लाभकारी सम्बंध है जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शेख़ नाहयान ने अत्यंत महत्वपूर्ण बना दिया है। दोनों आपस में भी दोस्त हैं। भारत के हर बड़े शहर से यूएई के शहरों को फ्लाइट हैं जो भरी जाती है। हमारे लोगों के लिए भी यह देश फ़ेवरिट डैसटिनेशेन बनता जा रहा है। कई ख़ुशी से जा रहें हैं तो कई परिस्थितियों से निकलने के लिए। इस पर चर्चा अगले लेख में करूंगा।
अंत में: भारतीयों की तरह बड़ी संख्या में यूएई में पाकिस्तानी भी रहते हैं चाहे संख्या हम से कम है। टैक्सी चालक बहुत पाकिस्तानी हैं। इनसे बात करना बहुत दिलचस्प रहता है। एक, वह आपसे बहुत तमीज़ से बात करतें है और दूसरा अपने देश के बारे में बहुत खुली बात करते हैं। पाकिस्तान के चुनाव परिणामों के बारे में जब एक पाकिस्तानी टैक्सी चालक से बात हुई तो उसने बड़े बेबाक़ तरीक़े से कहा, “ सर, सब चोर हैं।
यह सब देश को लूट कर खा गए हैं। केवल इमरान खान ईमानदार है जिसे जेल में डाल दिया गया है। फ़ौज के जरनैल भी मिलें हुए हैं। दुबई में हमारे लीडरों, जरनैलों, बड़े अफ़सरों सब की जायदाद और पैसा है। सर, यह चोरों की बारात है”। किसी देश की हालत जानने के लिए टैक्सी ड्राइवर से बेहतर बैरोमीटर नहीं हो सकता।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

1 × 4 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।