2023 साल का अंतिम चल रहा है ऐसे में सभी आगामी नव वर्ष की तैयारी में जुट गए है। इस वर्ष हर क्षेत्र में हर साल की भांति बड़े बदलाव देखने को मिले। मनोरंजन जगत की बात करे तो बहुत से दिग्गजो को नम आखों से विदा किया। वही राजनीति की बात करे तो ये क्षेत्र हमेशा से उथल – पुथल भरा रहा है। कही किसी की सरकार पल भर में बदल गई तो कही किसी के परिवार में कुर्सी को लेकर कलह हो गई। ऐसे में ये साल आगामी वर्ष को देखते हुए राजनीतिक दृष्टि से काफी अहम हो जाता है । 2023 में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम कही ना कही 2024 के लोकसभा चुनाव की पृष्ट भूमि तैयार करेंगे। ये तो भविष्य में तय होगा 2023 के विधानसभा चुनाव के नतीजे कितना असरदायक होते है। आज की इस रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे इस साल में हुए सभी चुनाव में कौन किस पर कितना भारी रहा।
उत्तर पूर्वी राज्यों से शुरुआत
साल की शुरुआत फरवरी में उत्तरपूर्वी राज्यों के चुनाव के साथ जिसमे तीन राज्य त्रिपुरा , मेघालय और नगालैंड थे। त्रिपुरा में 16 फरवरी 2023 को मेघालय और नगालैंड में 27 फरवरी को मतदान हुए। जिनके परिणाम 2 मार्च को 2023 को आए सभी राज्यों में बीजेपी के सहयोगी दलो की जीत हुई। त्रिपुरा में 60 विधानसभा सीटों पर बीजेपी को 32 सीटों पर जीत हासिल हुई जो स्पष्ट बहुमत को दर्शाता है। त्रिपुरा में माणिक साहा को मुख्यमंत्री चुना गया। वही मेघालय चुनाव में 60 विधानसभा सदस्य सीट पर डेमोक्रेटिक एलायंस को बहुमत मिला और कॉनराड संगमा को मुख्यमंत्री चुना गया। नागालैंड में 60 सीटों पर नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी जो बीजेपी की सहयोगी पार्टी है को 25 सीटें मिले और बीजेपी को 12 सीट से संतोष करना पड़ा। नागालैंड के मुख्यमंत्री के रूप में नेफियू रियो को चुना गया। कुल मिलाकर यहाँ पर बीजेपी को बढ़त रही।
कांग्रेस को संजीवनी
तीनो राज्यों की मतदान प्रक्रिया पूर्ण होने के पश्चात् चुनाव आयोग ने 10 मई 2023 की तारीख कर्नाटक चुनाव के लिए निर्धारत की। 224 विधानसभा सीटों पर चुनाव हुआ जिसमे सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस 135 सीटों के साथ राज्य की सत्ता में आ गई लेकिन जीत के उपरांत भी पार्टी के सामने मुख्यमंत्री पद को लेकर बड़ी चुनौती बनी थी। कर्नाटक से लेकर दिल्ली के बीच बैठकों एक लम्बा दौर चला जिसके बाद पार्टी ने सीएम पद के लिए सिद्धारमैया नाम पर मुहर लगा सभी अटकलों को विराम दिया। कई दिनों से जीत को तलाश कर रही कांग्रेस पार्टी को ये विजय एक संजीवनी साबित हुई जिसके बाद आगामी चुनावो की तैयारी को लेकर कांग्रेस थोड़ी आक्रमक दिखी।
पांच राज्यों के विधासभा चुनाव
तेलंगाना, मध्यप्रदेश, राजस्थान,मिजोरम और छत्तीसग़ढ में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव इन दिनो साल के आखिर महीने में चर्चा का विषय बने रहे। यहां सिर्फ चुनाव ही नहीं बल्कि मुख्यमंत्री के चेहरों पर भी काफी संशय बना रहा। राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी को प्रचंड बहुत मिला वही तेलगाना में पहली बार बीआरएस के अलावा किसी और पार्टी को बहुमत मिला। तेलंगाना में कांग्रेस को 119 में 64 विधानसभा सीटों पर विजय प्राप्त हुई। वही मिजोरम में 40 सीटों में से 27 पर ज़ोरम पीपल्स मूवमेंट दल को बहुमत प्राप्त हुआ। मिजोरम के मुख्यमंत्री के रूप में लालदुहोमा ने शपथ ली।
दो राज्यों में वापसी एक में सत्ता बरकरार
पांचो राज्यों में से बीजेपी तीन राज्यों में प्रचंड बहुमत के साथ वापस आई। राजस्थान का रण जीतना किसी भी दल के लिए उतना आसान नहीं जैसे एक तरफा नतीजों के आकंड़े सामने आए, 199 सीटों पर हुए चुनाव में बीजेपी को 115 सीटों पर जनसमर्थन प्राप्त हुआ। वहीं कांग्रेस 69 सीटों पर सिमट कर गई। मध्यप्रदेश में 230 सीटों में 163 विधानसभा में बीजेपी को विजय आशीर्वाद मिला। यहां बीजेपी अपनी सत्ता बचाने में कामयाब रही। बीजेपी ने इस जीत का श्रेय केंद्र के कुशल नेतृत्व और राज्य में लाड़ली बहन योजना को दिया। छत्तीसगढ़ में 90 सीटों में से 54 विधानसभा सीटों पर बीजेपी को जीत हासिल हुई।
बीजेपी के मुख्यमंत्री चेहरे चौकाने वाले
इन सब विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री चहरो को लेकर अधिकतर राज्यों में अनुमानित नामो पर मुहर लगी लेकिन सबसे चौकने वाले परिणाम बीजेपी ने दिए। छत्तीसग़ढ ,राजस्थान और मध्यप्रदेश में बीजेपी ने बिना कोई जल्दबाज़ी दिखाए। मुख्यमंत्री पद के लिए सभी राज्यों में पर्यवेक्षक भेजे जिसके बाद इन तीनो राज्यों से दिल्ली के बीच बैठकों का एक खासा लंबा दौर चला। पर्यवेक्षकों ने अपनी अंतिम रिपोर्ट आला अधिकरियों को भेजी जिसके बाद बंद लिफाफों में नाम तय हो कर आए। जो नाम समाने आए उन सभी नामो ने ना सिर्फ अटकलों को विराम दिया बल्कि आश्चर्य की परिभाषा को दर्शाया। छतीसगढ़ से विष्णुदेव साय , मध्यप्रदेश में मोहन यादव और राजस्थान में पहली बार के विधायक भजन लाल शर्मा को मुख्यमंत्री बना बीजेपी ने को सभी चौंका दिया। हालंकि इसके पीछे की वजह बीजेपी की नई लीडरशिप को तैयार करना बताया जा रहा है।