सोहना: सोहना एरिया के भौंड़सी स्थित जिला मार्डन कारागार में आज लगातार दूसरे दिन डीसीपी क्राईम सुमित कुहाड़ की अगुवाई में चलाए गए सर्च अभियान के दौरान पुलिस ने जेल की विभिन्न बैरकों में बंद गैंगस्टरों और उनके गुर्गों से 21 मोबाइल, 10 सिम, 2 चार्जर और एक पैन ड्राईव बरामद की है। जेल में तलाशी अभियान अभी भी जारी है। इतनी भारी मात्रा में जेल से मोबाइल मिलने पर जेल प्रशासन एक बार फिर शक के कटघरे में आ गया है। पुलिस आयुक्त संदीप खिरवार के निर्देश पर भौंड़सी जेल में चलाए गए सर्च अभियान के दौरान जेल में बंद कैदियों से मोबाइल, सिम, चार्जर और पैन ड्राईव बरामद किए जाने से साफ हो गया है कि जेल में बंद गैंगस्टर धन, बल के दम पर जेल के भीतर पूरे ऐशो-आराम की जिंदगी जी रहे है और घर जैसा आराम पा रहे है।
समाचार लिखे जाने तक पूरी तरह ये ज्ञात नही हो पाया है जिन कैदियों से यह मोबाइल, सिम, चार्जर, पैन ड्राईव बरामद हुए है, उनके क्या-क्या नाम है? कहां के रहने वाले है? किस आरोप में जेल में कब से बंद है और कड़ी सुरक्षा के बावजूद जेल के भीतर उन तक यह मोबाइल, सिम, चार्जर, पैन ड्राईव कैसे पहुंचे? जेल प्रशासन और भौंड़सी पुलिस इस मामले में मुंह खोलने और कुछ भी कहने से बच रहे है लेकिन सूत्रों की बातों पर यकीन किया जाए तो मोबाइलों का इस्तेमाल जेल में बंद गैंगस्टर और उनके गुर्गे कर रहे थे। जेल में फिलहाल 3 बड़े गैंगस्टर विजय भारद्वाज, मंजीत महल, अशोक राठी और उनके गुर्गे बंद है।
जिनका राजधानी दिल्ली समेत पूरे एनसीआर में नेटवर्क है। डीसीपी क्राईम सुमित कुहाड़ का कहना है कि जिन कैदियों से जेल के भीतर मोबाइल आदि मिले है, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जरूरत पडऩे पर आगे भी जेल में औचक तलाशी अभियान चलाया जाएगा। उन्होने बताया कि छापेमारी के दौरान जेल बैरकों के साथ-साथ शौचालयों और अन्य संदिग्ध स्थानों की तलाशी ली गई है। फिलहाल 13 कैदियों की पहचान हो पाई है, जो जेल के भीतर मोबाइल का उपयोग करते थे। भौंड़सी जेल में 4 जैमर लगे है लेकिन परिसर बड़ा होने की वजह से यह जैमर ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। जेल में और जैमर लगाने की कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
साथ ही सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता करने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएंगे। सुरक्षाकर्मी व अन्य साधन बढ़ाए जाएंगे। जेल प्रशासन की शिकायत पर आरोपित कैदियों के खिलाफ भौंड़सी पुलिस ने नामजद मामला दर्ज कर लिया है और जांच शुरू कर दी है। समाचार लिखे जाने तक यह पता नहीं लग पाया कि यह मोबाइल फोन जेल परिसर के भीतर किसने और कब पहुंचाएं? इनका किन-किन कैदियों ने अब तक प्रयोग किया है और इन मोबाइलों से उन्होने किस-किस स्थान पर, किन-किन नंबरों पर किस-किस व्यक्ति से और कब-कब क्या-क्या बातचीत आदि की है। यह सभी बातें अनसुलझी पहेली बनी हुई है।
– उमेश गुप्ता