चंडीगढ़ : हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि हम सभी शरणागत होकर संतोष भाव से राष्ट्र की सेवा का संकल्प लें। इससे समाज और राष्ट्र दोनों सशक्त बनते हैं। मुख्यमंत्री आज दिव्य कुंभ-भव्य कुंभ मेले श्रद्धालुओं को सम्बोधित कर रहे थे। वे आज ही इस पावन आयोजन में शामिल होने के लिए प्रयागराज पहुंचे।
श्री मनोहर लाल ने कहा कि दिव्य कुंभ में पहुंचकर उन्हें आत्मसंतुष्टि की अनुभूति हो रही है। यह विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है और जिस ढंग से यहां व्यवस्थाएं की गई हैं वे अत्यंत प्रशंसनीय हैं। उन्होंने कहा कि आज से 40 वर्ष पहले 25 जनवरी, 1979 को उन्होंने यहीं संगम में स्नान कर राष्ट्र के शरणागत होकर समाजसेवा का संकल्प लिया था, जिसका निर्वहन वे निरंतर कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मैं तो यहां गंगोत्री में स्नान करने के लिए आया था परंतु इस पवित्र स्थान पर संतों के प्रवचनों की गंगोत्री में स्नान करने का भी मौका मिला। उन्होंने कहा कि मैं यहां उस धरती से आया हूं जहां कुरूक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण ने मानव जाति के कल्याण के लिए गीता का अमर संदेश दिया था।
गीता ज्ञान का प्रचार प्रसार वैश्विक स्तर पर हो इसके लिए हमने गीता महोत्सव के छोटे से कार्यक्रम को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित करने का कार्य किया है। उन्होंने कहा कि यही नहीं फरवरी माह में मॉरीसश देश में भी अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव मनाया जा रहा है। उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि प्रयागराज में तीन नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम होता है। इनमें से अदृश्य हो चुकी सरस्वती नदी का उद्गम स्थल आदिबद्री हरियाणा में है।
मुख्यमंत्री पंचायती अखाड़ा निर्मल में पहुंचकर श्री गुरू ग्रंथ साहिब के समक्ष नतमस्तक हुए और प्रार्थना की। उन्होंने बाबा फतेह सिंह व बाबा जोरावर सिंह शहीदी प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया। उन्होंने प्रयागराज में विभिन्न संतों के भी दर्शन किए और उनसे आशीर्वाद लिया।
(आहूजा)