भाजपा ने आगामी संसद सत्र में प्रश्नकाल नहीं रखने पर केंद्र की आलोचना करने को लेकर बुधवार को विपक्ष को निशाने पर लिया। भाजपा ने कहा कि उसे ताज्जुब हो रहा है कि विपक्ष के जिन सदस्यों को अपनी पार्टी के अध्यक्ष से प्रश्न करने का ‘अधिकार नहीं है’ वे इस मुद्दे पर ‘फर्जी विमर्श’ खड़ा करते हैं।
राज्यसभा सदस्य एवं भाजपा के मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी ने कहा कि प्रश्नकाल के निलंबन को लेकर विपक्ष द्वारा किया जा रहा हो-हल्ला कुछ नहीं बल्कि ‘पाखंड में पारंगतता’ है। उन्होंने प्रश्नकाल नहीं रखे जाने की वजह का उल्लेख करते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी के इस दौर में संसद के दोनों सदन रोजाना महज चार घंटे बैठेंगे, ऐसे में स्वभाविक है कि समयाभाव है।
वैसे पार्टी के सूत्रों का कहना है कि सरकार इस बात पर विचार कर रही है कि क्या सत्र में प्रश्नकाल समावेश किया जा सकता है। संसद का सत्र 14 सितम्बर से शुरू हो रहा है। बलूनी ने कहा कि मार्च के बाद कई विधानसभाओं का कामकाज हुआ लेकिन आंधप्रदेश, केरल, पंजाब, राजस्थान और महाराष्ट्र में विधानसभाओं में प्रश्नकाल नहीं रहा।
उन्होंने कहा कि ये सभी गैर भाजपा शासित राज्य हैं और उनकी पार्टी ने कोई शोर शराब नहीं किया। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी और राज्यसभा में पार्टी के उपनेता आनंद शर्मा ने प्रश्नकाल हटाने के प्रस्ताव की आलोचना की है। वामदल और तृणमूल कांग्रेस भी इस विषय पर सरकार पर प्रहार कर चुके हैं।