पटना : बिहार में एनडीए के खिलाफ जो भी रणनीति बनाता था उसमें मुझे पत्र देकर बुलाया जाता था। जब महागठबंधन बनने की बात आयी तो समाजवादी पार्टी को छोड़ दिया और मैं तीन वर्षों से भाजपा के विरोध में नारा बुलंद करने के लिए राजद के साथ रहा। जब राष्ट्रीय लोकतंत्र का महापर्व आया तो सीट शेयरिंग में मुझे बुलाया तक नहीं गया, हमें तो दूर वाम दल एवं समाजवादी पार्टी को भी नजरअंदाज कर दिया गया। ये बातें आज पूर्व केन्द्रीय मंत्री देवेन्द्र प्रसाद यादव जो फिलहाल समाजवादी जनता दल डेमोके्रटिक के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, ने अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए अपना दुखरा पत्रकारों को सुनाया।
श्री यादव ने कहा कि महागठबंधन में जितने भी पार्टियां है उसमें पहला और दूसरा फेज का नामांकन खत्म हो गया। मैं एक बार फिर राष्ट्रीय जनता दल जो बिहार में महागठबंधन में बड़े भाई के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने महागठबंधन को नसीहत देते हुए कहा कि अगर भाजपा को भगाना है तो समाजवादी, वाम, लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष ताकत एकजुट हों। अगर मुझे राष्ट्रीय जनता दल में जगह नहीं मिली तो 01 अप्रैल, 2019 को अपने लोकसभा क्षेत्र झंझारपुर से नामांकन दाखिल करूंगा।
झंझारपुर से मुझे बहुतों बार वहां की जनता ने लोकसभा तक पहुंचाया और केन्द्रीय मंत्री भी रहा। आज देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ढिंढोरा पीटे रहे हैं कि लोगों को दो-तीन रुपये गेहॅॅ और चावल खिलाता हॅू। लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री एच. डी. देवगौड़ा के समय से ही गरीबों को दो और तीन रुपये में अनाज मुहैया कराया जाता है उस समय मैं 1997 में खाद और नागरिक आपूर्ति मंत्री था। गरीबों के लिए हमने अनकों योजनाएं लाया और कभी भी इन सबकी पब्लिसिटी नहीं की।
उन्होंने कहा कि भाजपा को भगाने के लिए महागठबंध के योग्य उम्मीदवार को टिकट से वंचित कर दिया गया है उसका खामियाजा तो भुगतना ही पड़ेगा। इससे देश बचाओ और भाजपा भगाओ अभियान में थोड़ा -बहुत धक्का जरूर लगा है। मुझे वामदलों से भी समर्थन मिल रहा है। उन्होंने कहा कि भाजपा को भगाने के लिए महागठबंधन तथा धर्मनिरपेक्ष सशक्त उम्मीदवार होंगे, उन्हें मेरा नैतिक समर्थन है। मैं समाजवादी रहा हॅू, समाजवादी हॅॅ और रहूंगा। उन्होंने कहा कि झंझारपुर की जनता ने मुझे पांच-पांच बार अपने कर्मभूमि से लोकसभा भेजा। मेरा संसदीय जीवन जननायक कर्पूरी ठाकुर जी फूलपरास से शुरू किये। लालू जी के साथ भी मेरा रिश्ता गहरा रहा है। मगर जब महागठबंधन में सीट शेयरिंग का मामला आया तो मुझे उपेक्षित होना पड़ा।