देवघर : श्रावणी मेला के दौरान होटलों में खाद्य सामग्री की गुणवत्ता को ताक पर रखकर श्रद्धालुओं की सेहत के साथ खिलवाड़ कोई नई बात नहीं है। खाने-पीने के सामान पर मक्खियों को बैठने के लिए बिना ढंके छोड़ देना और पैसा दोनों से अधिक कीमत की वसूली करना यहां की पुरानी परंपरा रही है। इसके अलावा जिला प्रशासन द्वारा निर्धारित सुरक्षा मानकों की फजीहत होटलों में रोज देखने को मिल रहा है।
दरअसल श्रावणी मेला के दौरान होटलों की व्यवस्था व खाद्य सामग्री की गुणवत्ता की जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग की जांच टीम होटलों में आकर जांच के नाम पर खाद्य पदार्थ की सेंपल लेकर चले जाती है लेकिन निष्कर्ष के रूप में कुछ भी सामने नहीं आता है और इन होटलों का धंधा बिना रुकावट के चलते रहता है। उक्त संबंध में होटल मालिकों का कहना था कि स्वास्थ्य विभाग के प्रतिनिधि प्रत्येक साल होटलों से मोटी रकम वसूलने का काम करते हैं और बदले में होटल व्यवसाइयों को संरक्षण देते हैं।
प्रसादी की दुकान से लेकर अचार वाले तक वसूली के नेटवर्क के जाल में फंसे हुए हैं यहां भी उगाही की परंपरा वर्षों से चली आ रही है। नकली खोवा बेचने वाले को तमाम तरह का संरक्षण प्राप्त है कम वजन करने वाले दुकानदारों के लिए श्रावणी मेला बहुत ही अनुकूल जगह है। क्योंकि ग्राहकों द्वारा कम वजन की शिकायत मिलने पर कार्रवाई के नाम पर केवल औपचारिकता पूरा कर दिया जाता है।
वही घटिया केमिकल युक्त आचार के व्यापार को बढ़ावा देने के लिए वसूली करने वाले तंत्र का संरक्षण प्राप्त है श्रावणी मेला के 25 वें दिन बासुकीनाथ स्थित राउरकेला धर्मशाला के पास बोल बम कांवरिया सेवा संघ की ओर से ठंडा पानी और शरबत दिया गया। इस संस्था के शिवचंद मालू श्रावणी मेला के मौके पर हर साल बासुकीनाथ पहुंचकर श्रद्धालुओं की सेवा किया करते हैं।