कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सोमवार को आदेश दिया कि कोविड-19 के प्रसार पर काबू के लिए राज्य भर के सभी दुर्गा पूजा पंडालों को प्रवेश निषेध क्षेत्र घोषित किया जाए। न्यायमूर्ति संजीब बनर्जी और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि किसी भी आगंतुक को पंडाल में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
अदालत ने आदेश दिया कि छोटे पंडालों के लिए प्रवेश द्वार से पांच मीटर की दूरी पर बैरिकेड लगाने होंगे जबकि बड़े पंडालों के लिए यह दूरी 10 मीटर होनी चाहिए। पीठ ने कहा कि बैरिकेडों पर प्रवेश निषेध के बोर्ड लगे होने चाहिए। अदालत ने यह भी कहा कि आयोजन समितियों से जुड़े सिर्फ 15 से 25 लोगों को ही पंडालों में प्रवेश करने की अनुमति होगी।
दुर्गा पूजा से पहले कोलकाता के मशहूर बाजार लोगों से खचाखच भर गए, जहां अधिकतर लोग मास्क पहनने और सामाजिक दूरी बनाए रखने जैसे कोविड-19 के दिशा-निर्देशों की अनदेखी करते नजर आए। महानगर की सड़कों पर लोगों की भीड़ से स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चिंता बढ़ गई है, जो बड़े पैमाने पर संक्रमण और कोरोना वायरस की दूसरी लहर को लेकर डर रहे हैं।
जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ काजल कृष्ण बनिक ने कहा, ‘‘ हम बस उम्मीद कर सकते हैं कि लोग भीड़ लगाने से बचें और कोविड-19 के दिशा-निर्देशों का पालन करें। हमें स्थिति के प्रति जागरूक रहना होगा।’’ स्वास्थ्य विभाग के अनुसार पश्चिम बंगाल में रविवार को कोविड-19 से 64 और लोगों की मौत के बाद मृतक संख्या छह हजार के पार चली गई और 3,983 नए मामले सामने आने के बाद संक्रमण के मामले बढ़कर 3,21,036 हो गए।