चक्रवात यास कमजोर होकर अब झारखंड की तरफ बढ़ रहा है और यहां अलग-अलग आश्रय स्थलों में शरण लिए लोग अपने घरों की तरफ लौटने लगे हैं। हालांकि कोविड-19 के खतरे के बीच इस तूफान की वजह से अपने घरों से बाहर निकलने को विवश लोगों के संक्रमित होने का खतरा और ज्यादा बढ़ गया है।
जगतसिंहपुर, केंद्रपाड़ा और जाजपुर जिलों में बड़ी संख्या में लोग बुधवार को ही अपने घरों की तरफ लौटने लगे थे, वहीं कुछ लोग गुरुवार सुबह में लौटे हैं। हालांकि चक्रवात यास ने विध्वंसक रूप नहीं अपनाया था और इसने तटीय और उत्तरी ओडिशा के बड़े इलाकों को व्यापक नुकसान नहीं पहुंचाया। इस तूफान को लेकर जो डर था कि इससे बड़े पैमाने पर क्षति होगी या लोग हताहत हो सकते हैं, वह आशंका सही साबित नहीं हुई और इस तूफान के यहां से गुजरने के बाद लोग आश्रय स्थलों से अपने घरों की तरफ लौटने लगे।
कोविड-19 महामारी को लेकर लागू दिशानिर्देशों को सुनिश्चित करते हुए अधिकारी केंद्रपाड़ा के करीब एक लाख लोगों समेत 6.5 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर बने आश्रय स्थलों पर पहुंचाने में सफल रहे थे। हालांकि लोगों के मन में अपना घर छोड़कर महामारी के बीच कहीं और जाने को लेकर कई तरह की आशंकाएं थीं लेकिन अधिकारी उन्हें सुरक्षित स्थान पर ले जाने में सफल रहे।
केंद्रपाड़ा जिले के तालचुआ के रहने वाले समरेंद्र राउत ने कहा कि हम जल्दबाजी में नहीं थे। हम मौसम के बिल्कुल सामान्य होने के बाद आज सुबह लौट आए। चक्रवात आश्रय स्थल में रात व्यतीत करना ज्यदा सुरक्षित था। केंद्रपाड़ा जिले में तटीय कंसारा बडाडांडुआ गांव के रहने वाले प्रद्युत गिरि ने कहा कि चक्रवात का अनुभव भले ही हुआ हो लेकिन यह भयानक नहीं था। प्रकृति ने अपना कहर नहीं बरपाया लेकिन फिर भी कल दोपहर में उन्होंने आश्रय स्थल की शरण लेना ही सही समझा था और अब जब तूफान का खतरा नहीं है तो वे घर जाने की योजना बना रहे हैं।