शिवसेना नेता संजय राउत ने रविवार को उद्धव ठाकरे को विधान परिषद का सदस्य निर्वाचित करने में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की तरफ से मंजूरी मिलने में हो रही देरी को लेकर अपना बयान दिया है। बता दें कि महाराष्ट्र कैबिनेट ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एमएलसी बनाए जाने का फैसला किया है।
हालांकि इस फैसले पर अभी तक राज्यपाल की अनुमति नहीं मिली है, जिसको लेकर राउत के बयान ने इस बात का कोई संशय नहीं छोड़ा कि उनके निशाने पर कौन है। संजय राउत ने ट्वीट किया, “राज भवन, राज्यपाल का आवास राजनीतिक साजिश का केंद्र नहीं बनना चाहिए। याद रखिए, इतिहास उन लोगों को नहीं छोड़ता जो असंवैधानिक व्यवहार करते हैं।”
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री तो बन गए लेकिन वह अभी तक विधानसभा या विधान परिषद के सदस्य नहीं बन पाए हैं। किसी भी राज्य के मुख्यमंत्री को 6 महीने के अंदर ही सदन का सदस्य होना जरुरी होता है। उद्धव ने 28 नवंबर 2019 को सीएम पद की शपथ ली थी। जिसके बाद उनकी अगले महीने समयसीमा समाप्त हो रही है।
राज्य के उप-मुख्यमंत्री अजीत पवार ने हाल ही में कैबिनेट की एक बैठक में ठाकरे का नाम राज्यपाल द्वारा विधान परिषद के लिए नामित किए जाने वाले सदस्य के तौर पर सुझाया था। एक अन्य ट्वीट में राउत ने राज्यपाल राम लाल को “बेशर्म” के तौर पर संदर्भित किया। आंध्र प्रदेश में 15 अगस्त 1983 से 29 अगस्त 1984 तक राज्यपाल रहे राम लाल उस वक्त विवादों में घिर गए थे जब उन्होंने अमेरिका में ऑपरेशन कराने गए मुख्यमंत्री एन टी रामाराव की जगह राज्य के वित्त मंत्री एन भास्कर राव को राज्य का मुख्यमंत्री नियुक्त कर दिया था।
माना जाता है कि यह बदलाव कांग्रेस नेतृत्व के इशारे पर किया गया था, जबकि भास्कर राव के पास 20 प्रतिशत विधायकों से ज्यादा का समर्थन नहीं था। एनटीआर एक हफ्ते बाद विदेश से लौटे और राम लाल के खिलाफ व्यापक अभियान शुरू किया। एक महीने बाद तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने राम लाल को राज्यपाल के पद से बर्खास्त कर दिया और इसके तीन दिन बाद एनटीआर दोबारा राज्य के मुख्यमंत्री बने थे।