मध्यप्रदेश में इंदौर के एक व्यस्त चौराहे के ट्रैफिक सिग्नल पर एक युवती के नाचने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पुलिस ने सार्वजनिक स्थान पर परेशानी उत्पन्न करने वाला काम करने के आरोप में उसके खिलाफ मामला दर्ज किया है। राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने युवती के इस कृत्य को गलत ठहराते हुए पुलिस अफसरों को उचित कानूनी कदम उठाने के निर्देश दिए थे।
विजय नगर पुलिस थाने के प्रभारी तहजीब काजी ने गुरुवार को बताया कि शहर के व्यस्त रसोमा चौराहे पर हाल में नाचते हुए वीडियो बनाने वाली श्रेया कालरा के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 290 (सार्वजनिक स्थान पर परेशानी उत्पन्न करने वाला काम करने) के तहत मामला दर्ज किया गया है। गौरतलब है कि इस कानूनी प्रावधान के तहत मुजरिम पर महज 200 रुपये तक के जुर्माने की सजा का प्रावधान है।
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ यह संबंधित वीडियो 30 सेकंड का है। इसमें काला मास्क, टोपी और इसी रंग के कपड़े पहनी युवती रसोमा चौराहे के ट्रैफिक सिग्नल पर लाल बत्ती के समय जेबरा क्रॉसिंग पर खड़ी होकर अंग्रेजी गाने लेट मी बी योअर वुमन के एक हिस्से पर नाचती दिखाई दे रही है।
मामले के तूल पकड़ने के बाद कालरा ने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर सफाई दी है। युवती ने कहा, रसोमा चौराहे पर नृत्य का वीडियो बनाने के पीछे मेरा मुख्य मकसद यातायात के इस नियम के बारे में जागरुकता फैलाना था कि लाल बत्ती के समय वाहन चालक ट्रैफिक सिग्नल पर नियत स्थान पर रुकें ताकि पैदल चल रहे लोग जेबरा क्रॉसिंग के जरिये आसानी से सड़क पार कर सकें। कालरा ने कहा, मेरे वीडियो पर मुझे कई सकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिली हैं, तो कुछ लोग इसे गलत तरीके से भी पेश कर रहे हैं।
राज्य के गृह मंत्री मिश्रा ने बुधवार को ट्वीट किया था कि ट्रैफिक सिग्नल पर वीडियो बनाने के पीछे युवती का भाव भले ही कुछ भी रहा हो, लेकिन उसका तरीका गलत था और इस तरह के चलन को आगे बढ़ने से रोकने के लिए कानूनी कार्रवाई जरूरी है। सोशल मीडिया पर कई लोग यह भी कह रहे हैं कि ट्रैफिक सिग्नल पर नाचते हुए वीडियो बनाने के बाद इसे सोशल मीडिया पर डालकर युवती ने प्रचार पाने की कोशिश की है।
इस बीच, महिला कांग्रेस की प्रदेश इकाई की अध्यक्ष अर्चना जायसवाल ने इस वीडियो को लेकर युवती पर प्राथमिकी दर्ज किए जाने को प्रदेश सरकार का गलत कदम करार दिया है। उन्होंने कहा, युवती ने ट्रैफिक सिग्नल पर वीडियो बनाकर कोई संगीन अपराध नहीं किया। पुलिस को उसे हिदायत देकर छोड़ देना चाहिए था। जायसवाल ने यह आरोप भी लगाया कि राज्य में महिलाओं के खिलाफ संगीन अपराधों के कई मामलों के आरोपी पुलिस की पकड़ से दूर हैं।