पत्रकार गौरी लंकेश हत्याकांड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट के उस आदेश को गुरुवार को रद्द कर दिया है, जिससे एक आरोपी को कुछ राहत मिलने की उम्मीद जगी थी। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में आरोपी के खिलाफ कर्नाटक संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (KCOCA) के तहत की गई पुलिस कार्रवाई को गलत ठहराया गया था।
न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सी.टी. रविकुमार की पीठ ने हत्या आरोपियों में शामिल मोहन नायक के ककोका के तहत की गई पुलिस की कानूनी कार्रवाई को कर्नाटक हाई कोर्ट द्वारा रद्द करने के फैसले को आज पलट दिया।
कर्नाटक हाई कोर्ट ने 22 अप्रैल 2021 को बेंगलुरु पुलिस कमिश्नर द्वारा ककोका लगाने के आदेश को रद्द कर दिया था। अभियोजन पक्ष की ओर निचली अदालत में अतिरिक्त आरोप पत्र दाखिल किया गया था, जिसमें ककोका के तहत कानूनी कार्रवाई की बात कही गई है। गौरी लंकेश की बहन कविता लंकेश ने हाई कोर्ट के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें नायक पर ककोका हटाने का आदेश दिया गया था और जिससे आरोपी को कुछ राहत मिलने की उम्मीद थी।
पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता गौरी लंकेश की पांच सितंबर 2017 की रात बेंगलुरु के राजराजेश्वरी नगर में उनके घर के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। चौदह अगस्त 2018 को मोहन नायक पर ककोहा की कई धाराएं जोड़ते हुए कोर्ट में अतिरिक्त आरोप पत्र दाखिल किए गए थे। नायक पर अपराधियों को शरण देने और मदद करने के आरोप हैं।