राजस्थान में सियासी उठापटक जारी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच मदभेद अब खुलकर सामने आ रहे हैं। एक तरफ जहां गहलोत अपने साथ 109 विधायकों के होने का दावा कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ सचिन पायलट अपने साथ करीब 30 विधायकों के साथ होने का दावा कर रहे हैं।
पायलट का कहना है कि गहलोत सरकार अल्पमत में है और उनके पास केवल 84 विधायक ही हैं। इन सब के बीच भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने सोमवार को कहा कि मौजूदा अशोक गहलोत सरकार का चले जाना ही राज्य की जनता के हित में है। इसके साथ ही पार्टी ने गहलोत सरकार पर अपने वादों पर खरा नहीं उतरने का आरोप लगाया।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा, ‘‘कांग्रेस पार्टी की सरकार राजस्थान के लोगों के मन से उतर गई है। आज भी यह सरकार बहुमत की सरकार नहीं कही जा सकती, निरपेक्ष बहुमत की सरकार नहीं थी (पिछले विधानसभा चुनाव के बाद उसके पास)केवल 99 सीटें थीं, (फिर) दो उपचुनाव जीते और उसके बाद का घटनाक्रम सबके सामने है। यह सरकार चले जाना ही राजस्थान की जनता के हित में है।’’ उन्होंने कहा कि राज्य में इस कांग्रेस सरकार की बुनियाद अंतर्कलह एवं अंतरविरोध है और मौजूदा घटनाक्रम से कांग्रेस की फूट भी उजागर हो गयी है।
पूनिया ने गहलोत सरकार पर अपने वादों पर खरा नहीं उतरने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा,‘‘राजस्थान सरकार पौने दो साल में अपने किसी वादे पर खरा नहीं उतरी। उसने एक भी काम नहीं किया, सिर्फ लीपापोती व बयानबाजी के पूरे पौने दो साल तक पूरी सरकारी मशीनरी अशोक गहलोत की सरकार को बचाने में लगी रही। उससे यह साफ है कि यह सरकार लोगों के मन से भी उतर गयी और बहुमत का जो आंकड़ा था वह केवल बनावटी आंकड़ा दिखता है। मुझे लगता है कि अभी कुछ पर्दे के पीछे हैं बहुत कुछ होना बाकी है। मन से उतरी हुई सरकार मुझे लगता है कि ज्यादा दिन चलती नहीं।’’
उपमुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट के बागी तेवर अपनाने के बीच भावी राजनीतिक संभावनाओं के बारे में पूनिया ने कहा, ‘‘हम अपनी पस्थितियों को देखेंगे। क्या परिस्थितियां बनती हैं। उन परिस्थितियों के आधार पर कोई न कोई सकारात्मक फैसला करेंगे।’’ उन्होंने कहा,‘‘हमारे सारे विकल्प खुले हैं लेकिन हम लोग आलाकमान के निर्देशों से बंधें हैं। जिस तरह का वे निर्देश देंगे हम उनकी पालना करेंगे।