भारतीय कंपनी वेदांता ने ताइवान की कंपनी फॉक्सकॉन के साथ एक संयुक्त उद्यम की घोषणा की है, जिसे दुनिया की सेमीकंडक्टर राजधानी के रूप में मान्यता प्राप्त है। इसके तहत गुजरात में सेमीकंडक्टर प्लांट लगाया जाएगा। कहा जा रहा है कि इससे भारत सेमीकंडक्टर्स की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम होगा और दूसरे देशों को निर्यात करने की स्थिति में भी होगा। भारत का यह सौदा न केवल उसके लिए फायदेमंद है, बल्कि चीन जैसे प्रतिद्वंद्वी की चिंता भी बढ़ाने वाला है। अहमदाबाद के पास बनने वाले इस प्रोजेक्ट पर 1.54 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। -संयुक्त उद्यम में वेदांत की 60 फीसदी हिस्सेदारी होगी, जबकि ताइवान की कंपनी की 40 फीसदी हिस्सेदारी होगी।
यूं लगेगा चीन को बड़ा झटका
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर भारत की ओर से उद्योगों को कुछ रियायतें दी जाती हैं तो इलेक्ट्रॉनिक सामानों के आयात में 40 फीसदी की कमी आएगी। भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स सामान का बड़ा हिस्सा चीन से आयात किया जाता है। ऐसे में ड्रैगन के लिए यह एक बड़ा झटका होगा क्योंकि भारत सेमीकंडक्टर्स और इलेक्ट्रॉनिक्स सामान के निर्माण में आत्मनिर्भर बनने में सक्षम होगा। लेकिन भारत को इसके लिए थोड़ी नरमी दिखानी होगी। सेमीकंडक्टर कारोबार के जानकारों का कहना है कि सेमीकंडक्टर दिग्गजों ने जिस तरह से बड़ी चिप बनाने वाली कंपनियों को प्रोत्साहन देने के लिए अपना खजाना खोला है, भारत जैसे नए खिलाड़ी के लिए यह खेल और भी मुश्किल होगा।
क्यों दुनिया में सेमीकंडक्टर्स की अहमियत, चीन और अमेरिका भी हैं चिंतित
सेमीकंडक्टर्स की अहमियत इस बात से समझी जा सकती है कि सैन्य और आर्थिक ताकत में ताइवान से ज्यादा मजबूत होने के बाद भी चीन उस पर हमले का जोखिम नहीं उठाता है। इसकी वजह यह है कि ताइवान दुनिया की सेमीकंडक्टर राजधानी है और इस हमले का असर चीनी टेक कंपनियों पर पड़ेगा। आज मोबाइल, कार, टीवी, रेडियो सहित सभी इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुओं में सेमीकंडक्टर का उपयोग किया जाता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर भारत में ही इसका उत्पादन शुरू हो जाएगा तो टेक सेक्टर में इसकी ताकत क्या होगी।
भारत की आत्मनिर्भरता चीन के लिए चिंता का विषय क्यों होगी?
अभी तक चीन इस मामले में पहले नंबर पर है। चीन की अर्थव्यवस्था में चिप निर्यात की हिस्सेदारी से पता चलता है कि कैसे ‘ड्रैगन’ ने अमेरिका सहित दुनिया के सभी देशों को सिलिकॉन चिप्स बेचकर अपना धन भरा है। चीन और भारत दुनिया के दो सबसे बड़े आबादी वाले देश हैं। भारत की खुद की खपत बहुत ज्यादा है और इसके लिए वह आयात पर निर्भर है, जिसका सीधा फायदा चीन को होता है। ऐसे में अगर भारत की आत्मनिर्भरता उसे ताकत देगी तो इससे चीन के कारोबार को भी नुकसान होगा।
अनिल अग्रवाल ने कहा- सिलिकन वैली थोड़ा करीब आ गई है…
इसे हम वेदांता ग्रुप के हेड अनिल अग्रवाल के ट्वीट से भी समझ सकते हैं। इस डील को लेकर उन्होंने ट्वीट किया, ‘भारत की अपनी सिलिकॉन वैली अब एक कदम और करीब है। भारत अब न केवल अपने लोगों की डिजिटल जरूरतों को पूरा कर पाएगा बल्कि इसे दूसरे देशों में भी भेज सकेगा। चिप सोर्सिंग से लेकर चिप बनाने तक का सफर अब आधिकारिक तौर पर शुरू हो गया है। एक अन्य ट्वीट में अनिल अग्रवाल लिखते हैं, ‘इतिहास बना दिया गया है। यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि वेदांता और फॉक्सकॉन का सेमीकंडक्टर प्लांट गुजरात में स्थापित किया जाएगा। वेदांता 1.54 लाख करोड़ रुपये का निवेश करेगी। इससे भारत का आत्मनिर्भर सिलिकॉन वैली बनने का सपना पूरा होगा।