लंदन : कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आज कहा कि पाकिस्तान को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास ‘‘सोच समझकर तैयार की गई कोई नीति नहीं है।’’ राहुल ने साथ ही कहा कि पाकिस्तान से बातचीत करना काफी मुश्किल है, क्योंकि वहां कोई एक संस्था सर्वोच्च नहीं है। यहां अंतरराष्ट्रीय सामरिक अध्ययन संस्थान (आईआईएसएस) को संबोधित करते हुए राहुल ने भारत-पाकिस्तान संबंधों के बारे में बात की। पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों की ओर से भारतीय सैन्य ठिकानों पर किए गए हमलों के बाद दोनों देशों के रिश्तों में बेहद तल्खी आ गई है। भारत ने साफ कर दिया था कि वह पाकिस्तान से वार्ता नहीं करेगा, क्योंकि आतंकवाद और बातचीत दोनों साथ-साथ नहीं चल सकते। राहुल ने कहा, ‘‘जब पाकिस्तान की बात आती है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास कोई सोच-समझकर तैयार की गई नीति नहीं है।’’ उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान से बातचीत करना बहुत मुश्किल है।
साल 1947 में पाकिस्तान की आजादी के बाद से करीब आधे समय तक इसकी ताकतवर सेना ने ही वहां की सत्ता संभाली है। इस सवाल पर कि भारत, पाकिस्तान के साथ संबंधों को किस प्रकार सुधार सकता है, राहुल गांधी ने कहा,‘‘ पाकिस्तान का जहां तक सवाल है, तो पाकिस्तान में आप किससे बात करेंगे । हमारे नजरिए से तो पाकिस्तान में : सत्ता में : कई सारी संस्थाएं हैं ।’’ संभवत: इमरान खान की अगुवाई वाली पाकिस्तान की नई सरकार की तरफ इशारा करते हुए राहुल ने कहा, ‘‘तो हमें तब तक इंतजार करना चाहिए जब तक वे एकजुट ढांचा नहीं बना लेते।’’ राहुल गांधी ने इस बात को रेखांकित किया कि यदि भारत को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के साथ एक समझौते पर हस्ताक्ष्रर करने हों तो ‘‘ सभी संस्थान प्रधानमंत्री की सर्वोच्चता को स्वीकार करते हैं । लेकिन पाकिस्तान के मामले में ऐसा नहीं है। उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पाकिस्तान यात्रा का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘ वाजपेयी जी अच्छी नीयत के साथ पाकिस्तान गए थे । जिस समय उनकी अपने पाक समकक्ष : नवाज शरीफ : से बातचीत हो रही थी, उसी समय सेना ने भारत पर हमला : कारगिल युद्ध 1999: कर दिया। मुझे नहीं लगता कि इस समय इसका कोई रेडीमेड समाधान उपलब्ध है।’’ चीन के संबंध में उन्होंने कहा, ‘‘ चीन तरक्की कर रहा है और भारत को संतुलनकारी भूमिका निभानी होगी।’’ नेपाल, मालद्वीव और श्रीलंका के संबंध में राहुल गांधी ने कहा,‘‘मुझे कोई स्पष्ट सामरिक प्रतिक्रिया नजर नहीं आती । मैं नहीं समझता कि आप विदेश नीति को इस प्रकार चला सकते हैं।’’