कई विशेषज्ञों का मानना है कि देश में खाद्य प्रसंस्करण यानी फ़ूड प्रोसेसिंग से सम्बंधित उद्योग की तरक्की की जबर्दस्त संभावनाएं हैं, पर यह क्षेत्र कई चुनौतियों का भी सामना कर रहा है।पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की उत्तर प्रदेश इकाई द्वारा बुधवार को आयोजित वर्चुअल कॉन्फ्रेंस में विशेषज्ञों ने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण देश का पांचवा सबसे बड़ा क्षेत्र है और सकल घरेलू उत्पाद में इसका योगदान 13 प्रतिशत के करीब है। मगर रोजगार की संभावनाओं से भरपूर होने के बावजूद इस क्षेत्र के सामने अनेक चुनौतियां खड़ी है।
चैंबर के महासचिव सौरव सान्याल ने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि उद्यमियों को आसानी से कर्ज नहीं मिल पाता। इसके अलावा संस्थागत कर्ज की ऊंची ब्याज दर, आधुनिक प्रौद्योगिकी तक पहुंच का अभाव, खाद्य श्रृंखला से जुड़ा ना होना और स्वास्थ्य तथा सुरक्षा के मानकों का पालन नहीं कर पाना भी इन चुनौतियों में शामिल है।
उन्होंने किसान उत्पादक संगठनों की भूमिका को बढ़ाने पर जोर देते हुए कहा कि इन संगठनों से उत्पादकों की विशेषज्ञता और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के उत्पादों के विपणन के बीच दूरी को पाटने में मदद मिलती है।
सान्याल ने कहा कि पीएचडी चैम्बर्स विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के साथ मिलकर खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के प्रौद्योगिकीय उन्नयन, वित्तपोषण और परामर्श के लिए काम कर रहा है।
पीएचडीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष और एमएसएमई मेंटरिंग एंड गाइडेंस सेंटर के परामर्शदाता अनिल खेतान ने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था में पांचवा सबसे बड़ा क्षेत्र है और यह सालाना सकल घरेलू उत्पाद में 13 प्रतिशत का योगदान करता है।
इन रोजगार की अपार संभावनाओं वाले खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में आम, दलहन, अदरक, लहसुन और काजू के सबसे बड़े उत्पादक शामिल है।
पीएचडीसीसीआई के सलाहकार डॉ. एस. पी. कुमार ने इस मौके पर कहा कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग एक उभरता हुआ क्षेत्र है जो बाजार के रुख को बदल रहा है। अगर इस क्षेत्र में उद्यमिता को बढ़ावा दिया जाए, तो निवेश खुद-ब-खुद आएगा।
औद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के प्रमुख सचिव बीएल मीणा ने कहा कि उत्तर प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में असीम संभावनाएं हैं और राज्य सरकार के पास इस क्षेत्र में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए काफी कुछ है।