37 साल पहले 3 भैंस के साथ छोड़ा था गांव, फिर किया ऐसा कारोबार की बन गए लखपति, जानिए क्या है भीमाभाई की कहानी - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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37 साल पहले 3 भैंस के साथ छोड़ा था गांव, फिर किया ऐसा कारोबार की बन गए लखपति, जानिए क्या है भीमाभाई की कहानी

भीमाभाई कारावदारा गुजरात के जामनगर से आए थे, उस वक्त वे एक मामूली पशुपालक थे। भीमाभाई का कहना है कि मेरा परिवार पारंपरिक तौर पर पशुपालन के काम से ही जुड़ा था। लेकिन मैं हमेशा से इस क्षेत्र में कुछ बेहतर कुछ अच्छा करना चाहता था और इसलिए मैं करीब 37 साल पहले सूरत चला आया।

एक छोटी सी शुरूआत भी इंसान को बड़े मुकाम पर पहुंचा सकती है, जिसके लिए व्यक्ति को मेहनत और लगन की जरूरत होती है आज हम आपको ऐसे ही शख्स की कहानी बताने वाले है, जिसने अपनी जिंदगी में कारोबार की शुरूआत एक छोटे से मुकाम से की और आज वे अपने छोटे से कारोबार से लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं। ये कहानी है भीमाभाई कारावदारा की, जिनके पास एक वक्त पर सिर्फ 3 भैंसे थीं लेकिन आज उनकी डेयरी में 350 भैंसे हैं साथ ही उनके पास आलीशान गाड़ियों का कलेक्शन भी है।
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भीमाभाई कारावदारा गुजरात के जामनगर से आए थे, उस वक्त वे एक मामूली पशुपालक थे। भीमाभाई का कहना है कि मेरा परिवार पारंपरिक तौर पर पशुपालन के काम से ही जुड़ा था। लेकिन मैं हमेशा से इस क्षेत्र में कुछ बेहतर कुछ अच्छा करना चाहता था और इसलिए मैं करीब 37 साल पहले सूरत चला आया। लेकिन यहां एक चुनौती थी कि मुझे यहां अपने लिए कारोबार भी जमाना था और परिवार भी देखना था। ईश्वर की कृपा है और परिवार का साथ मिला कि पशुपालन के अपने काम को आगे बढ़ाने में मैं कामयाब रहा।
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भीमाभाई कारावदारा जामनगर से सूरत आने के बारे में एक इंटरव्यू मे बताते हैं, जामनगर के हमारे गांव में पानी की बहुत समस्या थी। कम पानी होने की वजह से हम अपने पशुओं की ठीक से देखभाल नहीं कर पा रहे थे वहीं, सूखे की वजह से खेती करना भी नामुमकिन था। ऐसे में शुरुआत में हम सिर्फ गर्मियां बिताने के लिए सूरत आए थे लेकिन फिर यहीं बस गए। वहीं अब भीमाभाई के पास सूरत में आधुनिक उपकरणों और वैज्ञानिक तरीके से पशुपालन करने वाला एक कैटल फर्म भी है। साथ ही इंटरव्यू में उन्होंने ये भी बताया कि वह हर महीने दूध बेचकर 5 से 7 लाख रुपये तक की बचत कर रहे हैं।
आपको बता दें, 3 भैंसों के साथ सूरत आए भीमाभाई के पशुपालन वाले कारोबार में उनके तीनों बेटे भी हाथ बंटाते हैं। वहीं उनकी डेयरी से तैयार होने वाला दूध सूरत ही नहीं बल्कि गुजरात के दूसरे जिलों में भी पहुंचता है। छोटी सी शुरूआत से किए गए बिजनेस से बने बड़े कारोबार ने भीमाभाई और उनके परिवार की जिंदगी बदल दी हैं।वहीं भीमाभाई अपनी डेयरी के जरिए और लोगों को भी रोजगार देने की योजना पर काम कर रहे हैं। उनका लक्ष्य डेयरी से जुड़े कुछ और मिल्क प्रोडक्ट बनाने का है। 

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