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भारत न केवल गरीब और विकासशील देशों के लिए आवाज उठाता बल्कि उनके लिए ठोस मदद भी करता है – श्रृंगला

भारत की अध्यक्षता में जी20 कार्यक्रमों के समन्वयक पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने रविवार को कहा कि भारत न केवल गरीब और विकासशील देशों के लिए आवाज उठाता है बल्कि उनके हित में उनके लिए ठोस काम भी करता है.

भारत की अध्यक्षता में जी20 कार्यक्रमों के समन्वयक पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने रविवार को कहा कि भारत न केवल गरीब और विकासशील देशों के लिए आवाज उठाता है बल्कि उनके हित में उनके लिए ठोस काम भी करता है.
श्री श्रृंगला ने कहा कि भारत ने पिछले एक दशक में जरूरतमंद देशों को 25 अरब अमेरिकी डॉलर की सहायता दी है और कोविड-19 महामारी के दौरान सौ से अधिक देशों को कोविड टीकों और दवाओं की आपूर्ति की है। 
वह राजधानी में जलवायु परिवर्तन के विषय पर बाजार प्रतिस्पर्धा और उपभोक्ता हित में काम करने वाली एक प्रतिष्ठित गैर-सरकारी संस्था कट्स इंटरनेशनल द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम का जिक्र कर रहे थे, जिसमें लगभग तीन सौ लोगों ने ऑफलाइन और ऑनलाइन भाग लिया।
कार्यक्रम को जी20 के लिए भारत के सर्पा अमिताभ कांत ने भी संबोधित किया। पूर्व विदेश सचिव श्रृंगला ने चीन या किसी अन्य देशों का नाम लिए बगैर उनकी नीतियों पर भी उंगली उठाई जिससे गरीब देश कर्ज के बोझ तले दबे जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि भारत ने दक्षिणी गोलार्ध के उन (विकासशील और गरीब देशों) की भी मदद की है जो इस तरह के फर्जी और अनैतिक समझौतों में फंस गए थे, जिन्होंने उनकी अर्थव्यवस्थाओं को संकट में डाल दिया था.
गौरतलब है कि महंगी परियोजनाओं के लिए चीन की शर्तों पर कर्ज लेकर मालदीव, श्रीलंका और कई अन्य देश आर्थिक संकट में हैं और भारत को निजी स्तर पर उनकी मदद करने के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर उनकी मदद के लिए पैरवी करनी चाहिए। है। भारत ने आगामी G20 समिट में विकासशील और छोटे देशों के मुद्दों को पेश करने के लिए इसकी अध्यक्षता में ग्लोबल साउथ कॉन्फ्रेंस का भी आयोजन किया है। 
उन्होंने इस बात का भी समर्थन किया कि गरीब तथा विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन से निपाटने के लिए वित्तीय सहायता तथा प्रौद्योगिकी दिए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि ऐसा करते हुए इन देशों को अपनी विकास आकांक्षों से समझौता करने के लिए मजबूर नहीं होना चाहिए।
श्री अमिताभ कांत ने कहा,‘‘ हमें जलवायु परिवर्तन का सामना करने केलिए नए वित्तीय समाधान निकालने की जरूरत है। इसमें मिश्रित वित्तीय समाधान और निजी क्षेत्र के साथ मिल कर वित्तीय सहायाता भी हो सकती है। मिश्रित वित्त का तात्पर्य विकास-ऋण सहायता को इस तरह से प्रयोग में लाना है जिससे विकासशी देशों में पारिस्थितिकी अनुकूल परियोजनाओं में निवेश आकर्षित हो।’’ अपनी स्थापना के 40 वर्ष पूरे कर रहे कट््स इंटरनेशल के महासचिव प्रदीप एस मेहता ने ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के कुछ अनुसंधान संस्थानों के साथ मिल कर रोजगार, कौशल और जलवायु परिवर्तन की दृष्टि से मजबूत अवसंरचना सुविधाओं के विकास के क्षेत्र में काम करने की दो योजनाएं तैयार की है।
कार्यक्रम को दिल्ली की संस्था रिसर्च एंड इन्फारमेशन सिस्टम फॉर डेवलपिंग कंट्रीज के महा निदेशक सचिन चतुर्वेदी ने भी संबोधित किया।

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