देश में कोरोना वायरस का आतंक एक बार फिर दिखने लगा है, ऐसे में देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक अच्छी खबर आई है। ऐसे में देश की मौजूदा चालू वित्त वर्ष 2021-22 में जीडीपी 9.2 फीसदी रहने का अनुमान है। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने सालाना जीडीपी ग्रोथ का पहला अग्रिम अनुमान जारी किया। वहीं, बीते वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी ( माइनस) – 7.3 फीसदी रहा था। हालांकि सरकार द्वारा जो आंकड़े जारी किए गए हैं वो आरबीआई के अनुमान 9.5 फीसदी से कम है।
Indian economy estimated to grow at 9.2 pc in 2021-22 against 7.3 pc contraction in 2020-21: Govt data
— Press Trust of India (@PTI_News) January 7, 2022
कृषि क्षेत्र 3.9 फीसदी के दर से ग्रोथ दिखाएगा
सांख्यिकी मंत्रालय के जीडीपी के इन आंकड़ों का इस्तेमाल बजट बनाने में बेस के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा, इन आंकड़ों के मुताबिक 2021-22 में कृषि क्षेत्र 3.9 फीसदी के दर से ग्रोथ दिखाएगा, जबकि 2020-21 में 3.6 फीसदी रहा था। वहीं मैन्युफैकचरिंग सेक्टर 12.5 फीसदी के दर से विकास करेगा, जबकि 2020-21 में ये सेक्टर – 7.2 फीसदी रहा था. माइनिंग और क्वैरिंग 2021-22 में 14.3 फीसदी के दर ग्रोथ दिखाएगा, जबकि 2020-21 में ग्रोथ रेट -8.5 फीसदी रहा था। इलेक्ट्रिसिटी, गैस, वाटर सप्लाई और दूसरे यूटिलिटी का ग्रोथ रेट 8.5 फीसदी रहने का अनुमान है जबकि 2020-21 में 1.9 फीसदी से दर से विकास किया था।
ब्रॉडकास्टिंग से जुड़े सर्विसेज 11.9 फीसदी के दर से विकास करेगा
कंस्ट्रक्शन क्षेत्र 10.7 फीसदी के दर से 2021-22 में विकास करेगा जबकि 2020-21 -8.6 फीसदी के दर से विकास करेगा। ट्रेड होटल्स, ट्रांसपोर्ट, कम्यूनिकेशन, ब्रॉडकास्टिंग से जुड़े सर्विसेज 11.9 फीसदी के दर से विकास करेगा जबकि 2020-21 में – 18.2 फीसदी विकास दर रहा था।
फाइनैंशियल, रियल एस्टेट और प्रोफेशनल सर्विसेज 4 फीसदी के दर से विकास करेगा, जबकि 2020-21 में माइनस 1.5 फीसदी विकास दर रहा था। पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन,डिफेंस और दूसरे सर्विसेज 10.7 फीसदी के दर से विकास करेगा, जबकि 2020-21 में माइनस 4.6 फीसदी विकास दर रहा था।
कोरोना की तीसरी लहर ने बढ़ाई चिंता
कोरोना की तीसरी लहर ने देश में दस्तक दे दी है। जिसकी वजह राज्य सरकारों को कई प्रतिबंध लगाने पड़ रहे हैं। देश में बढ़ते कोरोना के मामले और लाॅकडाउन की वजह से अर्थव्यवस्था पर कितना असर पड़ेगा यह अभी नहीं कहा जा सकता। लेकिन इससे होने नुकसान को भी नकारा नहीं जा सकता है। बता दें, कोरोना की दूसरी लहर के बुरे असर के बाद जुलाई से सितंबर की तिमाही के बीच एक बार फिर अर्थव्यवस्था रफ्तार पकड़ी थी।