हैदराबाद : रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर एच.आर.खान ने आज कहा कि डिजिटल लेन-देन को बढ़वा देने और नकदीविहीन अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल करने के लिए अधिक प्रोत्साहन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि नवंबर 2016 में नोटबंदी के बाद कुछ प्रोत्साहन दिये जा रहे थे। उन्होंने कहा, नोटबंदी के बाद कुछ उतार-चढ़ाव आये पर डिजिटल लेन-देन एक साल पहले की अपेक्षा बढ़ गया था। विभिन्न स्तरों पर इस तरह के अधिक प्रोत्साहन की आवश्यकता थी।
उन्होंने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि के लिए डिजिटल र्थव्यवस्था बेहतर है। उन्होंने कहा कि देश में नगदी-जीडीपी अनुपात 12 प्रतिशत था जबकि अन्य विकासशील देशों में पांच से सात प्रतिशत है। डिजिटल अर्थव्यवस्था में नवाचार पर उन्होंने कहा कि फिनटेक कंपनियों और बैंकों को आपस में सहयोग करना चाहिए। और दोनों को मिलकर काम करना चाहिए क्योंकि दोनों का सह-अस्तित्व होना चाहिए।
आईडीआरबीटी के निदेशक ए.एस.रामशास्त्री ने कहा कि संस्थान रिजर्व बैंक का एक अंग है और वह ब्लॉक चेन, विश्लेषण, साइबर सुरक्षा और क्लाउड आधारित भुगतान समेत अन्य उभरते क्षेत्रों में शोध कार्य बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन के दौरान अमेरिका, रूस, नॉर्वे, दक्षिण कोरिया समेत अन्य देशों के प्रसिद्ध शोधार्थी अपना पेपर प्रस्तुत करने वाले हैं।
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