भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया। रेपो रेट 4 फीसदी पर स्थिर है। मौद्रिक नीति समिति के 6 सदस्यों में से 5 से पॉलिसी रेट को मौजूदा लेवल पर बनाए रखने का समर्थन किया। इसका मतलब है कि फिलहाल पॉलिसी रेट में वृद्धि की संभावना नहीं है।
यह लगातार नौवीं बार है, जब रेपो रेट के मामले में यथास्थिति को बरकरार रखा गया है। इसके साथ रिवर्स रेपो दर 3.35 प्रतिशत पर बना रहेगा। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में किए गए निर्णय की जानकारी देते हुए आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने यह भी कहा कि एमपीसी ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिये जीडीपी वृद्धि दर लक्ष्य को 9.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा 2021-22 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के अनुमान को 5.3 प्रतिशत पर कायम रखा गया है। एमपीसी को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ मुद्रास्फीति चार प्रतिशत पर बरकरार रखने की जिम्मेदारी दी गयी है। वहीं मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी दर को 4.25 प्रतिशत और बैंक दर को 4.25 प्रतिशत पर स्थिर रखा गया है। नकद आरक्षी अनुपात चार प्रतिशत और एसएलआर 18 प्रतिशत पर बना रहेगा।
पिछले वर्ष कोरोना के शुरू होने के बाद से यह मौद्रिक नीति की 13वीं घोषणा थी। इसके साथ ही रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 9.5 प्रतिशत की दर से बढ़ने के अपने अनुमान को यथावत रखने के साथ ही मार्च 2022 में समाप्त हो रहे वित्त वर्ष में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा महंगाई के 5.3 प्रतिशत पर रहने का अनुमान जताया गया है।
महंगाई के जोखिम को संतुलित बताते हुये समिति ने दिसंबर में समाप्त होने वाली तीसरी तिमाही में खुदरा महंगाई के 5.1 प्रतिशत और चौथी तिमाही में इसके बढ़कर 5.4 प्रतिशत पर पहुंचने का अनुमान जताया है। अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में इसमें कुछ सुधार होने की उम्मीद जताते हुये कहा गया है कि यह उतर कर पांच प्रतिशत पर आ सकती है और इसके बाद दूसरी तिमाही में भी इसी स्तर पर रह सकती है।