दिल्ली में शनिवार को कम दृश्यता और ‘गंभीर ‘ श्रेणी के तहत समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 499 रहा। यह जानकारी। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने दी। राजधानी में नवंबर की शुरुआत से ही प्रदूषण के स्तर में वृद्धि देखने को मिल रही है। दिल्ली में दीपावली के बाद पिछले सात दिन से वायु गुणवत्ता का स्तर गंभीर श्रेणी में है। दिल्ली में वायु प्रदूषण की वजह से दिल्ली में अब इमरजेंसी जैसे हालात होने वाले हैं।
सांस लेने में तकलीफ और आंखों में जलन महसूस हो रही है
लोधी गार्डन में सुबह सैर करने आए एक व्यक्ति ने बताया, “सांस लेने में तकलीफ और आंखों में जलन महसूस हो रही है। दिल्ली के प्रदूषण के लिए पराली जलना और वाहनों से होने वाला प्रदूषण ज़िम्मेदार है।” एक व्यक्ति ने बताया, “दिल्ली सरकार को कदम उठाना चाहिए। प्रदूषण में बाहर नहीं निकलना कोई समाधान नहीं है। आप पराली जलवाते रहिए और फिर कहिए कि बाहर ना निकले। सरकारों को प्रदूषण के ख़िलाफ़ ठोस कदम उठाने चाहिए।”
सीपीसीबी ने लोगों को घरों से बाहर जाने से बचने की सलाह दी
बता दें कि शुक्रवार को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने लोगों को घरों से बाहर जाने से बचने की सलाह दी और सरकारी और निजी कार्यालयों को राष्ट्रीय राजधानी में गंभीर वायु प्रदूषण के कारण वाहनों के उपयोग को 30 प्रतिशत तक कम करने का निर्देश दिया।
शुक्रवार को इस मौसम का सबसे खराब एक्यूआई दर्ज किया गया
राष्ट्रीय राजधानी में शुक्रवार को इस मौसम का सबसे खराब एक्यूआई दर्ज किया गया। सीपीसीबी ने एक आदेश में कहा कि दिन में पहले हुई एक समीक्षा बैठक में यह देखा गया कि 18 नवंबर तक रात के दौरान कम हवाओं के कारण प्रदूषकों के छितराने के लिए मौसम संबंधी स्थितियां अत्यधिक प्रतिकूल रहेंगी।
वाहन के उपयोग को कम से कम 30 प्रतिशत तक कम करें
सीपीसीबी ने कहा, ‘‘सरकारी और निजी कार्यालयों और अन्य प्रतिष्ठानों को सलाह दी जाती है कि वे वाहन के उपयोग को कम से कम 30 प्रतिशत (घर से काम करके, कार-पूलिंग, बाहरी गतिविधियों को सीमित करके, आदि) तक कम करें।’’सीपीसीबी ने कहा कि कार्यान्वयन एजेंसियों को, उचित स्तर पर की गई कार्रवाइयों की बारीकी से निगरानी करनी चाहिए और प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों और संबंधित समितियों को दैनिक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी चाहिए, जो वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) और सीपीसीबी को रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।