नई शिक्षा नीति पर कांग्रेस ने कहा- नई नीति में मानव विकास ज्ञान के विस्तार का मूल लक्ष्य नदारद - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

नई शिक्षा नीति पर कांग्रेस ने कहा- नई नीति में मानव विकास ज्ञान के विस्तार का मूल लक्ष्य नदारद

पार्टी ने आरोप लगाया कि नीति में संसदीय विचार विमर्श को दरकिनार किया गया और आरएसएस को छोड़कर किसी शैक्षणिक समुदाय के साथ कोई चर्चा नहीं की गई।

कांग्रेस ने रविवार को कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मानव विकास और ज्ञान के विस्तार का मूल लक्ष्य गायब है। पार्टी ने कहा कि इसमें लोकप्रिय शब्दों और लफ्फाजी का भंडार है लेकिन आवश्यक वित्त संसाधन और क्रियान्वयन के लिए सुसंगत योजना का अभाव है। पार्टी ने आरोप लगाया कि नीति में संसदीय विचार विमर्श को दरकिनार किया गया और आरएसएस को छोड़कर किसी शैक्षणिक समुदाय के साथ कोई चर्चा नहीं की गई।
कांग्रेस नेताओं- एमएम पल्लम राजू, राजीव गौड़ा और रणदीप सुरजेवाला ने यहां संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि नयी शिक्षा नीति गरीब और अमीर के बीच डिजिटल खाई (प्रौद्योगिकियों तक पहुंच में समुदायों के बीच असमानता) पैदा करना चाहती है क्योंकि यह सरकारी शिक्षा के निजीकरण को बढ़ावा देती है। उन्होंने दावा किया कि इससे शिक्षा ‘‘मध्य वर्ग तथा समाज के वंचित वर्गों की पहुंच से दूर होने वाली है।”
नेताओं ने शिक्षा पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का छह प्रतिशत खर्च करने की सरकार की मंशा पर भी सवाल उठाए और कहा कि मोदी सरकार के तहत 2014 में यह घटकर जीडीपी का 4.14 प्रतिशत और फिलहाल 3.2 प्रतिशत रह गया है। उनहोंने कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के चलते संसाधनों के अभाव के कारण व्यय में कटौती के चलते इसके और घटने की ही आशंका है। 
उन्होंने एक संयुक्त बयान में कहा, “राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, जिसका लक्ष्य स्कूल एवं उच्च शिक्षा में परिवर्तनकारी सुधारों के लिए रास्ता तैयार करना है, उसमें केवल लोकप्रिय शब्दों, शब्दावलियों, दिखावा और लफ्फाजी का भंडार है और इस विशाल दृष्टिकोण को लागू करने के लिए जरूरी आवश्यक वित्त संसाधनों तथा सुसंगत योजना और रणनीति, स्पष्ट प्रगति का अभाव है।”
उन्होंने कहा, “कुल मिलाकर, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में मानव विकास और ज्ञान के विस्तार का मूल लक्ष्य नदारद है।” केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति के तहत व्यापक सुधारों की बुधवार को घोषणा की थी। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि वैश्विक महामारी के बीच, जब सभी शैक्षणिक संस्थान बंद हैं, नई शिक्षा नीति लाना अपने आप में सवाल उठाने लायक है।
उन्होंने आरोप लगाया कि और तो और पूरे शैक्षणिक समुदाय ने शिकायत की है कि उनसे कोई विचार-विमर्श नहीं किया गया। उन्होंने बयान में कहा, “ऐसी नीति जो हमारी मौजूदा एवं भावी पीढ़ियों को प्रभावित करती है, उसे लेकर संसदीय विचार विमर्श तक को भी दरकिनार किया गया। वहीं इसके उलट शिक्षा का अधिकार कानून का रास्ता साफ करने के लिए गहन संसदीय एवं व्यापक विचार-विमर्श किया गया।”
पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री पल्लम राजू ने कहा, “शिक्षा क्षेत्र के हद से ज्यादा केंद्रीकरण के कारण बहुत सी गंभीर चुनौतियां सामने आएंगी। उन्होंने कहा, “मंशा भले ही दिखती हो लेकिन नीति में गंभीर खामियां हैं।” उन्होंने कहा, ‘बाद के चरणों में भी, हम पूछना चाहते हैं कि खाका क्या है? संसाधन का आवंटन किस तरह का है? आप सार्वभौमिकता के व्यापक आदर्श को लागू करने की योजना कैसे बना रहे हैं? ऑनलाइन शिक्षा को लेकर मंशा जाहिर की गई है। लेकिन ऑनलाइन शिक्षा तक पहुंच के स्तर में बड़ी विषमता है, न सिर्फ निजी वहनीय क्षमता के कारण बल्कि संपर्क (कनेक्टिविटी) की गुणवत्ता के लिहाज से भी। यह बड़ा डिजिटल विभाजन पैदा करेगा।”
आईआईएम के पूर्व संकाय सदस्य गौड़ा ने पूछा कि महत्वकांक्षी योजनाओं के वित्तपोषण के लिए पैसा कहां से आने वाला है। उन्होंने कहा, “या ये पैसा लोगों की जेब से लिया जाने वाला है।” गौड़ा ने कहा, “मोदी सरकार की किसी भी नीति को उसके पिछले छह साल के अनुभव के लिहाज से देखना होगा। उदाहरण के लिए, दिल्ली विश्वविद्यालय। इस सरकार की पहली कार्रवाई डीयू में चार साल के कार्यक्रम को खत्म करना था और अब हम फिर उसी तरफ लौट रहे हैं।” 
सुरजेवाला ने कहा कि नई नीति कागज पर एक दस्तावेज ही रहेगी क्योंकि जरूरी वित्तीय संसाधन नहीं हैं। साथ ही उन्होंने पूछा कि 12 लाख स्कूल शिक्षकों की रिक्तियों को भरने के संबंध में सरकार का क्या प्रस्ताव है। उन्होंने कहा कि आधिकारिक रिकॉर्ड के मुताबिक, देश में केवल 10 प्रतिशत सरकारी स्कूलों के पास कंप्यूटर है और केवल चार प्रतिशत के पास नेटवर्क कनेक्टिविटी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

17 + 9 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।