कृषि कानून को लेकर किसानों का आंदोलन जारी है। किसान यूनियनों ने शुक्रवार को सरकार से कहा कि वे चाहते हैं कि तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों को पूरी तरह से रद्द किया जाये। केन्द्र सरकार ने हालांकि किसान नेताओं से 12-18 महीनों तक इन कानूनों के क्रियान्वयन को स्थगित रखने संबंधी उसके प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने के लिए कहा।
लगभग दो महीने से चले आ रहे गतिरोध को समाप्त करने के लिए दोनों पक्षों के बीच आज 11वें दौर की बातचीत खत्म हुई। वहीं अगली बैठक के लिए कोई तारीख तय नहीं की गई। सरकार ने यूनियनों को दिये गये सभी संभावित विकल्पों के बारे में बताया और उनसे कहा कि उन्हें कानूनों को स्थगित करने के प्रस्ताव पर अंदरूनी चर्चा करनी चाहिए।
बैठक बेशक लगभग पांच घंटे तक चली, लेकिन दोनों पक्ष 30 मिनट से कम समय तक आमने-सामने बैठे
वहीं किसान नेताओं ने कहा कि बैठक बेशक लगभग पांच घंटे तक चली हो, लेकिन दोनों पक्ष 30 मिनट से कम समय तक आमने-सामने बैठे। बैठक के बाद किसान नेता ने कहा सरकार द्वारा जो प्रस्ताव दिया गया था वो हमने स्वीकार नहीं किया। कृषि कानूनों को वापस लेने की बात को सरकार ने स्वीकार नहीं की। अगली बैठक के लिए अभी कोई तारीख तय नहीं हुई है।
यदि किसान कानूनों को स्थगित करने के प्रस्ताव पर चर्चा करना चाहते हैं तो एक और बैठक के लिए तैयार सरकार
कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने यूनियनों से कहा कि यदि किसान तीनों कृषि कानूनों को स्थगित करने के प्रस्ताव पर चर्चा करना चाहते हैं तो सरकार एक और बैठक के लिए तैयार है। तोमर ने सहयोग के लिए यूनियनों को धन्यवाद दिया और कहा कि कानूनों में कोई समस्या नहीं है लेकिन सरकार ने किसानों के सम्मान के लिए इन कानूनों को स्थगित रखे जाने की पेशकश की।
बता दें कि बुधवार को हुई बातचीत के पिछले दौर में सरकार ने तीन कृषि कानूनों के क्रियान्वयन को स्थगित रखने और समाधान निकालने के लिए एक संयुक्त समिति बनाने की पेशकश की थी। हालांकि बृहस्पतिवार को विचार-विमर्श के बाद किसान यूनियनों ने इस पेशकश को खारिज करने का फैसला किया और वे इन कानूनों को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी दिये जाने की अपनी दो प्रमुख मांगों पर अड़े रहे।
किसान नेता दर्शन पाल ने वार्ता के पहले सत्र के बाद बताया, ‘‘हमने सरकार से कहा कि हम कानूनों को निरस्त करने के अलावा किसी और चीज के लिए सहमत नहीं होंगे। लेकिन मंत्री ने हमें अलग से चर्चा करने और मामले पर फिर से विचार कर फैसला बताने को कहा।’’ भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने कहा, ‘‘ हमने अपनी स्थिति सरकार को स्पष्ट रूप से बता दी कि हम कानूनों को निरस्त करना चाहते हैं न कि स्थगित करना। मंत्री (नरेन्द्र सिंह तोमर) ने हमें अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए कहा।’’