यूपी विधानसभा चुनाव के बाद समाजवादी पार्टी ने दलित वोट पर निगाहें गड़ाना की शरू - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

यूपी विधानसभा चुनाव के बाद समाजवादी पार्टी ने दलित वोट पर निगाहें गड़ाना की शरू

यूपी का विधानसभा चुनाव बीत जाने के बाद अब सपा ने 2024 के लिए दलित वोटों पर निगाहें गड़ानी अभी से शुरू कर दी हैं। जिसकी झलक 28 मार्च को विधायकों की शपथ ग्रहण में देखने को मिली है।

यूपी का विधानसभा चुनाव बीत जाने के बाद अब सपा ने 2024 के लिए दलित वोटों पर निगाहें गड़ानी अभी से शुरू कर दी हैं। जिसकी झलक 28 मार्च को विधायकों की शपथ ग्रहण में देखने को मिली है। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने 28 मार्च को शपथ ली। इस दौरान उनके साथ कुछ विधायकों ने भी शपथ ली और जय भीम जय समाजवाद का नारा दिया। उन्होंने संदेश देने की कोशिश की वह 2024 को इस वोट बैंक को अपना बनाने के लिए काम करेंगे।
28 मार्च को हुए शपथ ग्रहण समारोह में सबसे पहले मेरठ के सरधना से सपा विधायक अतुल प्रधान ने जय भीम का नारा लगाया। इसके बाद उनके पीछे संभल के राम खिलाड़ी सिंह, सचिन यादव समेत तकरीबन एक दर्जन विधायकों ने यही दोहराया। इससे अंदेशा लगाया जा सकता है। विधानसभा चुनाव में बसपा का कुछ छिटका वोट सपा के पाले में भी आया है। अब इसे 2024 तक पूरा अपना बनाने के लिए सपा ने अभी से चहलकदमीें शुरू कर दी है।
सपा को 2017 में 21.8 फीसदी वोट शेयर मिले थे
यूपी विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव के नेतृत्व में सपा भले ही बहुमत हासिल नहीं कर सकी, लेकिन वोटों के मामले में उसने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। समाजवादी पार्टी के वोट शेयर में भी करीब 10 फीसदी का उछाल आया है। सपा की बात करें तो पार्टी को 2017 में 21.8 फीसदी वोट शेयर मिले थे और अखिलेश इस बार पार्टी को 32 फीसदी वोट दिलाने में कामयाब रहे। भले ही सपा बहुमत से काफी दूर रह गई, लेकिन अखिलेश ने पार्टी को उसके इतिहास का सबसे बड़ा जनाधार दिलाया है। इससे पहले किसी विधानसभा चुनाव में सपा को इतने वोट नहीं मिले थे। यादव-मुस्लिम की पार्टी कही जाने वाली सपा को इस बार दूसरी जातियों-समुदायों के वोट भी जमकर मिले।
राजनीतिक विश्लेषक प्रसून पांडेय कहते हैं कि इस बार बसपा कांग्रेस के वोट बैंक पर सपा ने भी सेंध मारी की है। वर्ष 2012 के चुनाव में 29.13 प्रतिशत मत पाने वाली सपा को 224 सीटें पाकर सरकार बनाई थीं। लेकिन इस बार सपा को उससे भी अधिक मत यानी 32.10 प्रतिशत मिले हैं लेकिन उसे विपक्ष में बैठना पड़ेगा। कारण भाजपा को मिले मत सपा की तुलना में करीब नौ प्रतिशत से भी अधिक हैं। उसमें से कुछ वोट का प्रतिशत सपा को भी मिला है।
कांग्रेस को 2 सीटें मिलीं, बसपा 1 सीट पर जीत पाई, अन्य के खाते में 2 सीटें गई
कहा कि जाटव समाज में भी बिखराव देखने को मिला है, जो बसपा के लिए खतरे की घंटी है। 2022 के चुनाव में बसपा के चुनावी में पहले जैसी बात देखने को नहीं मिली है। वजह यही है कि उम्मीदवारों के बीच अब बसपा के लिए पहले जैसा आकर्षण नहीं रहा है। एक वजह यह भी है कि दलित वोटरों कि बसपा के लिए पहले जैसी गोलबंदी करते नहीं दिखा। हालांकि, बसपा की तरफ से यह सफाई कई मौकों पर आ चुकी है कि उनका वोटर मुखर नहीं है।
बसपा का वोट शेयर 22.2 फीसदी से घटकर 12.7 फीसदी हो गया। कांग्रेस 6.3 फीसदी से घटकर 2.4 फीसदी पर रह गई, जोकि रालोद के 3 फीसदी से कम है। सीटों की बात करें तो भाजपा गठबंधन को 273 सीटों पर जीत मिली है तो सपा गठबंधन 125 सीटें जीतने में कामयाब रहा। कांग्रेस को 2 सीटें मिलीं तो बसपा महज 1 सीट पर जीत पाई, अन्य के खाते में 2 सीटें गई हैं।
सपा के रणनीतिकार भी मानते हैं कि बसपा के इतना कमजोर चुनाव लड़ने के कारण ही भाजपा को फायदा हुआ है। बसपा के कोर मतदाता भाजपा में पाले में चले गए। चुनाव में बसपा के वोट बैंक से करीब 10 प्रतिशत मतदाता खिसक गए हैं ऐसे में सपा को नजर बसपा के बिखर चुके इसी वोट बैंक के अलावा गैर यादव पिछड़ी जातियों के मतदाताओं पर है। हालांकि इन मतदाताओं का विश्वास जीतने के लिए सपा को अभी बहुत प्रयास करने होंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

eight + ten =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।