केंद्र के नए कृषि कानूनों को लेकर मंगलवार को सरकार और किसान संगठनों के बीच घंटों चली बातचीत से कोई हल नहीं निकला। किसानों का आंदोलन बढ़ता जा रहे है। इस मुद्दे को लेकर उच्च स्तर की राजनीति भी हो रही है। विपक्ष केंद्र सरकार से किसानों की मांग पूरी करते हुए तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने को कह रही है। वहीं पक्ष विपक्ष पर किसानों को बरगलाने का आरोप लगा रहा है।
बलिया से बीजेपी सांसद और पार्टी के किसान मोर्चा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह मस्त ने मंगलवार को अपने संसदीय कार्यालय सोनबरसा में संवाददाताओं से बातचीत में किसान कानून के विरोध को लेकर विपक्षी पार्टियों पर जमकर निशाना साधा।
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उन्होंने आरोप लगाया कि किसान कानून के नाम पर विपक्षी पार्टियां किसानों को बरगला कर अपना स्वार्थ साधने का प्रयास कर रही हैं, मगर विपक्षियों को इसमें सफलता नहीं मिलेगी। मस्त ने विश्वास व्यक्त किया कि किसानों के साथ बातचीत में सारा मसला हल हो जाएगा। कांग्रेस सहित कई विपक्षी दल चाहते हैं कि सरकार के साथ किसानों की वार्ता ही न हो।
उन्होंने कृषि कानूनों की प्रशंसा करते हुए कहा कि इनके लागू हो जाने से किसानों की आय बढ़ेगी। यह पूरी तरह से किसानों के हित में है। बीजेपी सांसद ने कहा कि जिन लोगों ने 70 वर्षों से किसानों का शोषण किया है, वे आज किसानों का हितैषी बनकर अपना मतलब साधने में लगे हुए हैं।
एक किसान होने के नाते वह यह दावे के साथ कहते हैं कि नए कृषि कानून 110 फीसद किसानों के हित में हैं। उन्होंने कहा कि नये कानूनों से किसानों का नुकसान कैसे होगा, यह समझ के परे है, न्यूनतम समर्थन मूल्य बंद नहीं होगा इसकी लिखित गारंटी बीजेपी का कोई भी जनप्रतिनिधि सरकार की तरफ से लिखकर दे सकता है।