समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा हरदोई में एक जनसभा में मोहम्मद अली जिन्ना को लेकर दिए गए एक बयान पर उत्तर प्रदेश प्रदेश की राजनीति गरमा गई है। सभी रजनीतिक दलों ने अखिलेश को घेरना शुरू कर दिया है। जहां एक तरफ भारतीय जनता पार्टी उनके इस बयान की तीखी आलोचना कर रही है, तो वहीं दूसरी तरफ बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने भी प्रहार किया है। वहीं आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआइएमआइएम) के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने भी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
असदुद्दीन ओवैसी का बयान
एआइएमआइएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने अखिलेश यादव के बयान पर कहा कि उनको समझना चाहिए कि भारतीय मुसलमानों का मुहम्मद अली जिन्ना से कोई लेना-देना नहीं है। हमारे बुजुर्गों ने दो राष्ट्र सिद्धांत को खारिज कर दिया और भारत को अपना देश चुना। अगर अखिलेश यादव सोचते हैं कि इस तरह के बयान देकर वह लोगों के एक वर्ग को खुश कर सकते हैं, तो मुझे लगता है कि वह गलत हैं और उन्हें अपने सलाहकारों को बदलना चाहिए। उन्हें भी खुद को शिक्षित करना चाहिए और कुछ इतिहास पढ़ना चाहिए।
सपा-बीजेपी की अंदरूनी मिलीभगत’
बीएसपी अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि यूपी के आगामी चुनाव में हिंदू-मुस्लिम के जरिए माहौल बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है। मायावती का आरोप है कि बीजेपी और सपा के बीच अंदरूनी मिलीभगत चल रही है।
1. सपा मुखिया द्वारा जिन्ना को लेकर कल हरदोई में दिया गया बयान व उसेे लपक कर भाजपा की प्रतिक्रिया यह इन दोनों पार्टियों की अन्दरुनी मिलीभगत व इनकी सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है ताकि यहाँ यूपी विधानसभा आमचुनाव में माहौल को किसी भी प्रकार से हिन्दू-मुस्लिम करके खराब किया जाए।
— Mayawati (@Mayawati) November 1, 2021
मायावती ने तंज कसते हुए कहा कि सपा और बीजेपी एक दूसरे के पोषक और पूरक रही है। उनका कहना है कि दोनों दलों की सोच जातिवादी और संप्रदायिक है। इसी वजह से दोनों का अस्तित्व एक दूसरे पर आधारित रहा है। बीएसपी अध्यक्ष ने कहा कि यही वजह है कि जब सपा सत्ता में होती है तो बीजेपी मजबूत होती है। जब बीएसपी सत्ता में होती है तो बीजेपी कमजोर हो जाती है।
पटेल से जिन्ना की तुलना शर्मनाक’: बीजेपी
उन्होंने कहा कि यूपी की जनता इसे कभी स्वीकार नहीं करेगी.वहीं स्वतंत्र देव सिंह ने भी अखिलेश के इस बयान के बाद उन्हें आड़े हाथों लिया। उन्होंने पूछा कि सरकार पटेल की जयंती पर वह जिन्ना का महिमामंडन क्यों कर रहे हैं। इससे पहले योगी सरकार के मंत्री मोहसिन रजा ने भी अखिलेश यादव पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा कि अखिलेश ने इस तरह का बयान देकर देश के महापुरुषों का अपमान किया है। सपा अध्यक्ष ने विभाजनकारी जिन्ना की विचारधारा महात्मा गांधी, सरदार पटेल, जवाहरलाल नेहरू की विचारधारा को बताया है। सपा अध्यक्ष को इसके लिए माफी मांगनी चाहिए।
केंद्रीय मंत्री और उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से लोकसभा सांसद संजीव बालियान ने अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि हमें तो अखिलेश यादव की सोच पहले से ही पता थी लेकिन जिन्ना की तारीफ करके तो अखिलेश ने सारी हदें ही पार कर दी है। बालियान ने कहा कि जिन्ना जो देश के बंटवारे के लिए जिम्मेदार है, उसकी तारीफ एक पूर्व मुख्यमंत्री करें यह निंदनीय है। विभाजन के दौरान मारे गए लाखों लोगों की आत्मा आज रो रही होगी। उन्होंने कहा कि एक तरफ देश को जोड़ने वले सरदार पटेल और दूसरी तरफ देश को तोड़ने वाला जिन्ना, दोनों की कोई तुलना ही नहीं हो सकती और ऐसा बयान देने के लिए अखिलेश यादव को पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए।
अखिलेश यादव के बयान पर विवाद
बता दें कि हरदोई में अखिलेश यादव ने मोहम्मद अली जिन्ना का महिमामंडन किया। रविवार की रैली में उन्होंने सरदार बल्लभ भाई पटेल की तुलना जिन्ना से की। उन्होंने कहा कि सरादर पटेल जवाहरलाल नेहरू और जिन्ना एक ही संस्थान से पढ़कर बैरिस्टर बने। सभी ने आजादी की लड़ाई लड़ी। जिन्ना से पटेल की तुलना करने के बाद अखिलेश के बयान पर विवाद खड़ा हो गया है। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी अखिलेश यादव पर हमला बोला है। उन्होंने एक सभा में कहा कि रविवार को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने देश तोड़ने वाले जिन्ना से राष्ट्र को जोड़ने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल की तुलना की। यह बहुत ही शर्मनाक काम है।