‘कला’ एक ऐसा विषय हैं जिसे लोग यूँही हलके में ले जाते हैं और ये कहकर नकार देते हैं कि भला इसमें तुम्हारा क्या ही भला होगा? छोडो इसे और कुछ सीरियस और ढंका सोचो जिससे तुम्हे एक सही राह मिले। लेकिन आप ये बात मत सोचियेगा अगर आप भी कला में रूचि रखते हैं और कला के माध्यम से देश को बदलने की सोच रखते हैं तो। कला सुनने में जितना छोटा शब्द हैं असल में उसके माईने इतने छोटे हैं नहीं। आज ऐसे ही आपको मोटीवेट करने के लिए हम एक व्यक्ति की कला आपके सामने प्रस्तुत करेंगे जिसमे कई कलाकारों ने अपनी मेहनत के दम पर कला के क्षेत्र में अपना नाम बनाया है।
आज हम आपको पंजाब की राजधानी अमृतसर के एक ऐसे अदभुत कलाकार के बारे में बताएंगे जिनकी कला की खुबसूरती ने लोगों को उनका दीवाना बनाया हुआ हैं। जिस टूथपिक का आप इस्तेमाल करने के बाद उसे बेकार समझ कर कूड़े में दाल देते हैं मात्र उसी बेकार की डंडी से उसी टूथपिक से बलजिंदर सिंह ने अपनी अनोखी कलाकारी कर लोगों को अचम्भे में डाल दिया हैं, और अपनी इसी दमदार कलाकारी के बलबूते पर ही अमृतसर के बलजिंदर सिंह मान अभी तक पूरे 7 विश्व रिकॉर्ड तक कायम कर चुके हैं।
एक सरकारी टीचर हैं बलजिंदर सिंह मान
आज की इस भाग-दौड़ भरी ज़िन्दगी में जहा एक ओर इंसान खुद को बिज़ी बताकर हर एक काम से पल्ला झाड़ लेता हैं। उसी सोच से परे बलजिंदर के कभी भी एक टीचर होने के बावजूद भी अपने कला के प्रति रूचि को कभी भी कम नहीं होने दिया। स्कूल में सामाजिक विज्ञान का विषय पढ़ाने वाले शिक्षक के पद पर कार्यरत बलजिंदर सिंह अपने और अपनी कला के लिए वक्त निकालना अच्छे से जानते हैं।
2016 से इन अद्भुद कलाकृतियों को बना रहे हैं बलजिंदर
आर्टिस्ट बलजिंदर सिंह मान ने बताया कि, ‘वह 2016 से टूथपिक से कलाकृतियां बना रहे हैं. उन्होंने बताया कि उन्हें छोटी उम्र से ही पेंटिंग से बहुत प्यार था और बदलते समय के साथ वह कुछ अलग करना चाहते थे और आज भी वो दिन-रात मेहनत करके इस कला को और भी निखार रहे हैं.अपनी इस कला से दर्जनों अलग-अलग कलाकृतियां बना चुके हैं.’
पर्यावरण से बेहद लगाव रखते हैं मान साब
अपनी बात को पूरा करते हुए बलजिंदर सिंह ने कहा कि, “मेरा एकमात्र विचार अपने समाज को एक अच्छा संदेश देना है, और इन सभी प्रयासों को करने के लिए मुझे एक दिन के 24 घंटे भी कम पड़ते हैं. बलजिंदर सिंह मान एक कलाकार होने के साथ-साथ प्रकृति प्रेमी भी हैं,समाज को हरा-भरा बनाने के लिए अब तक हज़ारों पौधे भी लगा चुके हैं.”