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इस पक्षी को India के लोग मानते हैं भाग्यशाली, साल में सिर्फ 1 बार पीता है पानी

जैकोबीन कोयल अर्थात चातक पूरे साल में सिर्फ एक बार पानी पीता है. एक बार पानी पीने के बाद चाहे कुछ भी हो जाए, यह दोबारा पानी नहीं पीता है. इसके बारे में प्रचलित है कि यदि चातक पक्षी बहुत प्यासा हो और इसे बिल्कुल साफ पानी के झील में भी छोड़ दिया जाए, तो भी यह पानी नहीं पिएगा।

दुनिया में कई प्रकार के पक्षी मौजूद है और हर किसी की अपनी एक खासियत होती है। मगर क्या आप जानते है कि वर्ल्ड में एक ऐसा पक्षी है जो सिर्फ बारिश का पानी पीता है। इस पक्षी को भारत में भाग्यशाली पक्षी के तौर पर भी देखा जाता है, जो साल में एक बार पानी पीने के साथ मानसून के आने की जानकारी भी देता है। इस पक्षी को लोग चातक के नाम से जानते है लेकिन इसका असली नाम जैकोबिन कोयल है।
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जैकोबिन कोयल का वैज्ञानिक नाम क्लैमेटर जैकोबिनस है। क्लैमेटर मतलब चिल्लाना होता है इसका मतलब है एक ऐसा पक्षी जो काफी मुखर हो। भारतीय साहित्य में चातक के बारे में कहा गया है कि ये सिर्फ बारिश की पहली बूंदों को पीता है। इस पक्षी को लेकर ये भी कहा जाता है कि इस पक्षी के सामने आप कितना भी साफ पानी ही क्यों ना रख दें, ये उसे नहीं पिएगा। अगर आप इसे किसी झील में भी डाल देंगे तो भी ये अपनी चोंच नहीं खोलेगा।
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चातक की खासियत है कि ये बारिश के अलावा किसी भी दूसरे स्रोत से पानी नहीं पीता है। इंडिया में चातक की दो आबादी है, पहली जो दक्षिणी भाग का निवासी है और दूसरी मॉनसूनी हवाओं के साथ अरब सागर को पार करते हुए अफ्रीका से उत्तर और मध्य भारत में अपनी राह बनाते हैं। ये एक कीटभक्षी पक्षी है जो टिड्डे-भृंगे खाते है लेकिन कई बार इन्हें जामून भी खाते देखा गया है।
क्लैमेटर जैकोबिनस यानि चातक पक्षी मुख्य तौर पर एशिया और अफ्रीका महाद्वीप में ही पाए जाते हैं। मगर भारत में ये चातक पक्षी उत्तराखंड राज्य में पाए जाते हैं लेकिन इसे बिहार के पश्चिम चम्पारण जिले के सरैयामन पक्षी विहार सहित वाल्मिकी टाइगर रिजर्व के जंगलों में भी देखा गया है। बारिश का पानी पीने के अलावा चातक पक्षियों की एक दिलचस्प बात ये है कि ये अपने रंगीन अंडे दूसरे पक्षियों के घोंसले में देते हैं।

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