हमारी पृथ्वी एक वाकई खजानो का भण्डार हैं यहां कब क्या-क्या मिल जाये ये कोई नहीं कह सकता। जब ऊपर वाले की मर्ज़ी होगी हर रोज़ किसी न किसी परदे से राज़ बाहर आएगा। आये दिन हमें कई ऐसी रहस्य्मयी चीज़ो और अवशेषों के बारे में पता चलता रहता हैं जो अबतक हमारी नज़रो से तो मानो कोसो दूर बैठी हुई थी लेकिन दिखी तब ही जब उपरवाले की मर्ज़ी थी।
कुछ ऐसा ही इजरायल के यरूशलम में देखने को मिला हैं। यहां पुरातत्वविदों को एक प्राचीन द्वार मिला है जिसमे घुसते ही उनकी आँखें मानो चकित ही रह गई। हजारों साल पुरानी इस गुफा के अंदर जब साइंटिस्ट गए तो हैरान रह गए। अंदर तेल के दीये, खोपड़ियां, लैंप, सिक्के और कलाकृतियां नजर देखने मिली। हार्वर्ड थियोलॉजिकल रिव्यू में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार बात कि जाये तो, यहां ऐसे सबूत मिले हैं, जिनसे रोमन युग में नेक्रोमेंसी या मृत्यु जादू की प्राचीन प्रथा के बारे में जानकारी मिलती है। यहां के लोग इस विधि द्वारा आत्माओं से सीधे बातचीत करने की कोशिश करते थे।
यरूशलम से लगभग 30 किमी पश्चिम में स्थित पहाड़ियों में टेओमिम गुफा स्थित हैं,जिसका अध्ययन सन्1873 से किया जा रहा है। जिसके बाद अब विशेषज्ञों के लम्बी तपस्या का फल मानो उन्हें मिल ही गया हो। जेरूसलम से लगभग 30 किमी पश्चिम में पहाड़ियों में टेओमिम गुफा है, जिसका अध्ययन 1873 से किया जा रहा है। विशेषज्ञों को लंबे समय से संदेह है कि यहां बहने वाले भूमिगत झरने के पानी का उपयोग उन लोगों द्वारा इलाज के लिए किया जाता था जो 4000 ईसा पूर्व और चौथी शताब्दी के बीच यहां रहते थे।
इस जगह का इस्तेमाल मृतकों से संवाद करने की कोशिश के लिए किया जाता था। यानी एक तरह से समझा जाए तो तांत्रिक क्रियाएं होती थीं. इस गुफा का उपयोग दूसरी शताब्दी ईस्वी में बार कोखबा विद्रोह के दौरान यहूदी विद्रोहियों के लिए छिपने की जगह के रूप में किया गया था। यह गुफा बहुत गहरी है. इसलिए ऐसा माना जाता है कि इसका संबंध मृत्यु लोक से है। और इसी वजह से यहां तांत्रिक क्रियाएं की जाती रही हैं।
चट्टानों की दरारों में छिपा हुआ राज़
पुरातत्वविद येरुशलम के हिब्रू विश्वविद्यालय के गुफा अनुसंधान केंद्र के सहयोग से इस गुफा की खुदाई कर रहे हैं। उन्हें कई अप्रत्याशित चीज़ें मिलती हैं. उन्होंने कई दिलचस्प वस्तुएं दिखाईं, जिनमें तीन मानव खोपड़ी के टुकड़े, 120 तेल के दीपक, प्राचीन मिट्टी के बर्तन और तेल के दीपक से लगभग 2,000 साल पहले के कांस्य युग के हथियार शामिल थे। वे व्यवस्थित रूप से चट्टानों की दरारों में छिपे हुए थे। बार इलान यूनिवर्सिटी के पुरातत्वविद् और इस अध्ययन के सह-लेखक डॉ. बोअज़ जिस्सू ने कहा कि जब नए बुतपरस्त लोगों की आबादी यहां रहने आई तो नेक्रोमेंसी की प्रथा भी शुरू हो गई। हाल की खुदाई में वहां किए जाने वाले प्राचीन अनुष्ठानों के बारे में दिलचस्प जानकारी मिली है।
गुफा में हुआ नेक्रोमेंसी समारोह
शोधकर्ताओं के अनुसार, रोमन काल के दौरान गुफा में नेक्रोमेंसी समारोह होते थे। यहां देवताओं का आह्वान किया गया। लेकिन बार कोखबा विद्रोह के पतन के बाद इस पूरे क्षेत्र में आमूल-चूल परिवर्तन आया। पहले यह एक यहूदी इलाका था. लेकिन बाद में रोमन साम्राज्य ने यहां के अधिकांश यहूदी लोगों को या तो नष्ट कर दिया या विस्थापित कर दिया। ऐसा माना जाता है कि ये अनुष्ठान उन्हीं के द्वारा किया गया है।
It turns out portals to hell are real, and they’ve been in Israel this entire time pic.twitter.com/B5Qzcy7TES
— RT (@RT_com) July 23, 2023
जादू-टोना करने के लिए तेल के लैंप, चीनी मिट्टी और कांच के कटोरे और बर्तन, कुल्हाड़ी और खंजर का उपयोग किया जाता था। इसीलिए इस दुर्गम गुफा को मृत आत्माओं से संपर्क का द्वार माना जाता था। यहां के लोगों का मकसद भविष्यवाणी करना और मृत आत्माओं को जगाना था। शोधकर्ताओं ने जादुई प्रथाओं की पहचान करने की कोशिश की, लेकिन यह इतना आसान नहीं था।