पानी एक ऐसा संसाधन हैं जिसकी ज़रूरत हर देश हर गांव और हर इंसान को हैं कहते हैं कि सिर्फ पानी से ही इंसान 28 दिन तक ज़िंदा रह सकता हैं तो ज़रा सोचिये कि इस पानी में कितनी ताकत होगी जो एक इंसान को पूरे 28 दिन तक जीवित रख सकता हैं लेकिन आज भी ऐसे कई गांव कई शहर हैं जो पानी की समस्या से आज भी झूंझ रहे हैं।
बलिया जनपद के झरकटहा गांव में एक रहस्यमयी बहुरिया कुआं है अब आप सोच रहे होंगे की इसमें क्या नई बात हैं भला? तो ज़रा रुकिए! दरहसल, इस कुएं का पानी औषधि का भी काम करता है। गले में होने वाला भयावह रोग घेंघा (गले में होने वाला एक रोग) इस कुएं के पानी को पीने से ही दूर हो जाता है। यही नहीं इस कुएं के अंदर चार कमरे बनाए गए हैं। जिसमें गांव घर की बहुएं अंदर प्रवेश करती थी और स्नान करके अंदर ही कपड़ा बदलकर बाहर निकल जाती थी। इसीलिए यह कुआं जब से ही रहस्यमयी बना हुआ है।
गांव के एक बुजुर्ग हरदेव सिंह बताते हैं कि, “यह क्षेत्र लगभग 200 वर्ष पहले दूर-दूर तक सुनसान था. इधर से गुजरने में बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था. इस गांव (झरकटहा) के निवासी रामदिहाल सिंह जमींदार के खानदान में शादी पड़ी. डोली में बैठकर कन्या यानी बहुरिया ससुराल (झरकटहा) आ रही थी.”
मुँह दिखाई में कर दी ‘कुआं खुदवाने की मांग’
क्योकि कई वर्षो से ये क्षेत्र बिलकुल सुनसान था गर्मी व धूप के चलते कहारों ने बीच में आराम करने के लिए डोली को भी वहा रख दिया। क्योकि काहारों को प्यास लगी थी लेकिन उस सुनसान वीरान स्थल पर दूर-दूर तक कहीं पानी या कुआं नजर नहीं आया इसलिए ही इस पीड़ा और कष्ट को कन्या ने भी महसूस किया और इसके बारे में गंभीरता से सोचा। के ससुराल पहुंचते ही कन्या ने अपनी मुंह दिखाई में कुआं खुदवाने की मांग कर डाली। इसलिए इस कुएं का नाम ही बहुरिया पड़ गया।
इंसान ही नहीं पक्षी को भी मिलता हैं लाभ
इस कुंए के अनेको फायदों में एक हैं कि इससे न केवल लोग अपनी प्यास बुझाते बल्कि पशु-पक्षी भी कुंए के पानी से अपनी प्यास को शांत करते थे। पशु-पक्षियों के लिए इस कुंए में हौद भी बने हुए हैं। जिसमें पशु पक्षी पानी पीते थे. ग्रामवासी हरदेव सिंह बताते हैं कि कुएं का जल पीने के साथ ही साथ घेंघा रोग (गले का रोग) दूर हों जाता हैं। इस पानी के लिए दूर दूर से लोग यहां आते थे। इस धरोहर को मरम्मत के साथ ही इसे और विकसित स्वरूप देने की आवश्यकता है।