भारत में वक्त के साथ काफी कुछ बदल गया है लेकिन आज भी यहां के गांवों में काफी कुछ पुराने धर्रे पर ही चलता है। देश में राजतंत्र के साथ प्रजातंत्र का भी राज है और इसी वजह से यहां जनता को सबसे ऊपर माना जाता है। ये बात तो सभी जानते है कि आज भी कई राज्यों में आज भी पंचायती राज है और लोग अपने द्वारा चुने सरपंच का ही फैसला सर्वोपरि मानते हैं।
आज हम आपको जनता द्वारा चुने एक ऐसे सरपंच के बारे में बताने वाले है जिसे एक नहीं बल्कि पांच बार जनता ने चुनकर सरपंच की गद्दी पर बैठाया। जी हां, भले ही आपको इस बात पर यकीन नहीं हो रहा होगा, लेकिन ये सच है कि राजस्थान के खींवसर के इतिहास में एक ऐसे सरपंच थे जिनका नाम और उनके काम के किस्से आज भी वहां के लोगों के दिलों-दिमाग में ताजा है।
सरपंच के साथ जनता का ऐसा लगाव कम ही देखने को मिलता है लेकिन खींवसर के पूर्व सरपंच स्वर्गीय प्रेमसिंह भाटी को लोग आज भी याद करते है। प्रेमसिंह भाटी एक नेकदिल इंसान थे और उनकी न्याय प्रणाली की वजह से आज भी खींवसर के लोगों की जुबान पर उनका नाम है। अपने गांव के लोगों के लिए उनका लगाव और उनका अच्छा करने की चाह को देखकर ही लोगों ने उन्हें 5 बार अपना सरपंच चुना था।
भले ही आज वो इस दुनिया में नहीं है लेकिन उनके बर्ताव और कामों को देखकर ही सभी गांववालों ने मिलकर इनकी मूर्ति खींवसर के मुख्य बाजार में बनाई है। पूर्व सरपंच स्वर्गीय प्रेमसिंह भाटी के बारे में स्थानीय लोग बताते हैं कि वो अपने इंसाफ के लिए जाने जाते थे। उन्होंने कभी भी जाति के आधार पर न्याय नहीं किया। वो हमेशा दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद ही अपना फैसला सुनाते थे।
उनके इंसाफ करने के तरीके को देखकर ही लोगों ने उन्हें 5 बार अपना सरपंच बनाया था। उनके 25 साल के कार्यकाल में इस गांव में एक भी पुलिस केस नहीं हुआ था। गांववाले बताते है कि वो जब भी दो पक्षों में कोई झगड़ा-लड़ाई होती तो वो दोनों को आमने-सामने बैठाकर फैसला करते थे। जो जैसा अपराध करता था, वो उसे वैसी ही सजा देते थे और इसी वजह से खींवसर के लोग उन्हें आज भी याद करते हैं।