भारत-चीन सीमा विवाद : जानिए ! क्या रिश्तों की पिघलेगी बर्फ? - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

भारत-चीन सीमा विवाद : जानिए ! क्या रिश्तों की पिघलेगी बर्फ?

यह संयोग है या कूटनीतिक शिष्टाचार का तकाजा, जिस समय समरकंद शहर शंघाई सहयोग संगठन की शिखर बैठक की तैयारी को अंतिम रूप दे रहा था,

यह संयोग है या कूटनीतिक शिष्टाचार का तकाजा, जिस समय समरकंद शहर शंघाई सहयोग संगठन की शिखर बैठक की तैयारी को अंतिम रूप दे रहा था, इस संगठन के दो प्रमुख देश चीन और भारत सीमा विवाद पर सहमति के बिंदु तलाश रहे थे। पूर्वी लद्दाख के पास दोनों देशों के बीच जारी सीमा विवाद फिलहाल टलता नजर आ रहा है। दोनों देश 12 सितंबर तक अपने -अपने सैनिकों को वापस बुलाने पर सहमत हो गए हैं।
सबसे बड़ी बात यह है कि करीब तीन साल बाद भारत और चीन का शिखर नेतृत्व एक साथ बैठने जा रहा है। दोनों नेताओं ने साथ बैठकर द्विपक्षीय मसलों पर चर्चा की। चीन के राष्ट्रपति और भारतीय प्रधानमंत्री इसके पहले ब्राजील में नवंबर 2019 में हुए ब्रिक्स सम्मेलन में मुलाकात हुई थी।
भारत और चीन में एक सहमति रही है। संयुक्त राष्ट्र संघ के मंच को छोड़ दिया जाए तो तकरीबन हर वैश्विक मंच पर दोनों देश निजी मुद्दों को उठाने से बचते हैं। लेकिन निजी बातचीत में ऐसे मुद्दे उठ सकते हैं। और इन्हें उठना भी चाहिए। इसके जरिए कोशिश होनी चाहिए कि दोनों देशों के बीच कारोबार बढ़े और दोनों देशों के लोग नजदीक आएं। वैसे यहां यह भी ध्यान देना चाहिए कि भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर पहले बैंकाक और बाद में दिल्ली में हुए कार्यक्रमों में साफ तौर पर कह चुके हैं कि अगर इक्कीसवीं सदी को एशिया की सदी होना है तो दोनों देशों को करीब आना होगा और वैश्विक स्तर पर कुछ मतभेदों को भुलाना चाहिए।
कूटनीति की दुनिया में कोई भी बदलाव एक दिन में नहीं होता है। कूटनीति की दुनिया में बदलाव की पीठिका तैयार की जाती है। उसके लिए माहौल बनाया जाता है। पहले फिर संकेतों में बात संदेश दिए जाते हैं। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर का पहले एशिया की सदी के लिए भारत और चीन को एक साथ आने का विचार देना और फिर पूर्वी लद्दाख इलाके से चीन के सेनाओं की वापसी पर सहमति बनना, कूटनीतिक संदेश ही है। ऐसा लगता है कि अब दोनों देश मानने लगे हैं कि भारत और चीन मान चुके हैं कि आपसी रिश्तों की बर्फ को पिघलाए बिना गरीबी से जारी संघर्ष को खत्म नहीं किया जा सकता।
यह संयोग ही है कि जिस समय शंघाई सहयोग संगठन की अरसे बाद प्रत्यक्ष बैठक होने जा रही है, उसके ठीक पहले भारत पांचवें नंबर की अर्थव्यवस्था वाला देश बन चुका है। चीन दूसरे नंबर की अर्थव्यवस्था वाला देश अरसे से है। आर्थिक स्तर पर भारत की मजबूत होती स्थिति का भी इस शिखर सम्मेलन पर असर पड़ना स्वाभाविक है। इस शिखर बैठक के बाद भारत को शंघाई सहयोग संगठन की अध्यक्षता मिल जाएगी। जाहिर है कि भारत की कम से कम इस संगठन के संदर्भ में भी बढ़ जाएगी। जाहिर है कि इस संदर्भ में भी इस बैठक में चर्चाएं होंगी और भारत की ओर से अपने उद्देश्य भी पेश किए जा सकते हैं। ये कुछ वजहें हैं, जिनकी वजह से इस शिखर बैठक पर नजदीकी नजर रखने की जरूरत है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

20 − one =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।