इस्लामाबाद : कभी जोर-शोर से शुरू हुए चीन-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर का काम बीते कुछ समय से पैसों की कमी के चलते लटक गया है। बताया जा रहा है कि पाकिस्तान का राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचए) गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहा है। एनएचए द्वारा दिए गए चेक बाउंस होने से कई ठेकेदारों ने सड़क निर्माण का काम बंद कर दिया है। प्रभावित परियोजनाओं में सीपीईसी का हक्ला-डेरा इस्माइल खान वेस्टर्न रूट और कराची-लाहौर मोटरवे शामिल हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, मौजूदा हालात में न सिर्फ सीपीईसी परियोजनाएं बल्कि निर्माण से संबंधित स्थानीय उद्योग, इंजीनियरों व मजदूरों पर भी प्रभाव पड़ा है। सरकार से संपर्क करने पर एनएचए के प्रवक्ता काशिफ जमान ने कहा कि अथॉरिटी ने कंपनियों को पांच अरब रुपये का चेक 29 जून को जारी किया था। काशिफ जमान का कहना है कि 1.5 अरब रुपये के चेक का भुगतान उसी दिन हो गया और ‘बाकी चेक दूसरे दिन जमा किए गए जिनका भुगतान नहीं हो पाया। उन्होंने कहा कि मामले को सरकार के समक्ष रखा गया है और जल्द ही इसका समाधान हो जाएगा। एनएचए के प्रवक्ता के अनुसार ज्यादातर परियोजनाओं को दिसम्बर 2018 तक पूरा कर लिया जाएगा। लेकिन जानकारों की मानें तो भुगतान में देरी होने की वजह से सीपीईसी की कई परियोजनाओं के पूरा होने और देर लग सकती है।
गौरतलब है कि सीपीईसी चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआइ) की प्रमुख परियोजना में से एक है। यह चीन के शिनजियांग प्रांत को पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से जोड़ेगी, जिससे चीन की पहुंच अरब सागर तक हो जाएगी। यह परियोजना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरती है, जिसकी वजह से भारत इसका विरोध करता रहा है।पिछले साल बीजिंग में वन बेल्ट वन रोड शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया था, जिसमें अमेरिका और जापान समेत कई एशियाई देशों ने हिस्सा लिया था। लेकिन भारत ने संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का हवाला देते हुए इस शिखर सम्मेलन का बहिष्कार किया था।