भारत के प्रमुख स्ट्राइक गेंदबाज जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद शमी के ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीमित ओवरों के 6 मैचों में एक साथ खेलने की संभावना कम है क्योंकि टीम प्रबंधन उन्हें 17 दिसंबर से शुरू होने वाली 4 टेस्ट मैचों की सीरीज के लिए तैयार रखना चाहता है। भारतीय टीम के इस 2 महीने के दौरे की शुरूआत 27 नवंबर से 3 मैचों की एकदिवसीय श्रृंखला से होगी। इसके बाद टीम को इतने ही मैचों की टी-20 श्रृंखला खेलनी है। सीमित ओवरों की इन श्रृंखलाओं के मैच सिडनी और कैनबरा में खेले जाएंगे।
बीसीसीआई (भारतीय क्रिकेट बोर्ड) के सूत्रों की माने तो बुमराह और शमी का कार्यभार प्रबंधन मुख्य कोच रवि शास्त्री और गेंदबाजी कोच भरत अरुण के लिए सर्वोपरि है। टेस्ट मैचों के लिए भारतीय टीम का पहला अभ्यास मैच 6 से 8 दिसंबर के बीच खेला जाएगा। इस दौरान भारतीय टीम को आखिरी के 2 टी-20 अंतरराष्ट्रीय ( 6 और 8 दिसंबर) मैच खेलने है।
इशांत शर्मा की चोट की स्थिति अभी साफ नहीं है जिससे बुमराह और शमी दोनों भारतीय टेस्ट अभियान के लिए काफी अहम होंगे। ऐसे में टीम प्रबंधन (शास्त्री, कप्तान विराट कोहली और गेंदबाजी कोच) 12 दिनों के अंदर सीमित ओवरों के 6 मैचों में इन दोनों को एक साथ मैदान में उतार कर कोई जोखिम नहीं लेना चाहेंगे। बोर्ड के एक सूत्र ने कहा, ‘‘ यदि दोनों (बुमराह और शमी) टी-20 अंतरराष्ट्रीय (4, 6 और 8 दिसंबर) श्रृंखला में खेलते हैं, तो उन्हें टेस्ट अभ्यास के लिए एक ही मैच मिलेगा, मुझे नहीं लगता कि टीम प्रबंधन ऐसा चाहेगा।’’
इस बात की संभावना अधिक है कि सीमित ओवरों की श्रृंखला के दौरान शमी और बुमराह को एक साथ टीम में शामिल नहीं किया जाए। एक संभावना यह हो सकती है कि दोनों एकदिवसीय मैचों में खेले जहां उनके पास 10 ओवर गेंदबाजी करने का मौका होगा। एकदिवसीय के बाद वे टेस्ट मैचों में खेलें। शमी को गुलाबी गेंद (दिन-रात्रि टेस्ट में इस्तेमाल होने वाली गेंद) से अभ्यास करते भी देखा गया है जिससे उनकी प्राथमिकता का पता चलता है।
भारतीय टीम को 17 दिसंबर से एडीलेड में दिन-रात्रि टेस्ट खेलने से पहले सिडनी में 11 से 13 दिसंबर तक गुलाबी गेंद से एक अभ्यास मैच भी खेलना है। बुमराह और शमी अगर टी20 मैचों से बाहर बैठते हैं तो इसमें गेंदबाजी का दारोमदार दीपक चाहर, टी नटराजन और नवदीप सैनी की तेज गेंदबाजों की तिकड़ी के साथ युजवेन्द्र चहल, रविन्द्र जडेजा और वाशिंगटन सुंदर जैसे स्पिनरों पर होगा।