हालांकि आईएसएल और आई लीग के आयोजन के बावजूद भी भारतीय फुटबाल का स्तर सुधरता नज़र नहीं आ रहा लेकिन इन आयोजनों में भाग लेना हर क्लब और खिलाड़ी की पहली प्राथमिकता बनती जा रही है। देश की राजधानी दिल्ली के लिए बड़े प्लेटफार्म पर खेलना फिलहाल किसी भी क्लब को नसीब नहीं हो पाया है किंतु सेकंड डिवीजन की आई लीग में हिन्दुस्तान, सुदेवा मूनलाइट, भारतीय वायुसेना और अब गढ़वाल हीरोज दिल्ली की फुटबाल को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में सफल रहे हैं।
फिलहाल गढ़वाल हीरोज पर नज़रें टिकी हैं जिसने अब तक खेले गये मैचों में शानदार प्रदर्शन किया है। जम्मू के विरुद्ध ड्रॉ खेलने के बाद अपने होम मैदान, अंबेडकर स्टेडियम पर गढ़वाल ने कोलकाता एथलेटिको रिज़र्व को हरा कर अपनी स्थिति महबूत की है। भले ही खेल का स्तर उंचा नहीं रहा लेकिन दिल्ली के चैम्पियन क्लब के लिए बड़ी बात यह है कि उसके आह्वान पर उसके समर्थकों नें सकारात्मक संकेत दिया हैं।
कुछ माह पहले जब गढ़वाल ने दिल्ली लीग का खिताब जीता था तो सैकड़ों उत्तराखंडी अंबेडकर स्टेडियम में मौजूद थे और स्टेडियम गढ़वाली गीत संगीत और ढोल-दमो की धुन पर झूम उठा था। यह सही है कि दिल्ली की फुटबाल में उत्तराखंडी खिलाड़ियों का बड़ा योगदान रहा है और तमाम क्लब उन्हीं के दम पर चल रहे हैं।
ऐसे में गढ़वाल हीरोज, गढ़वाल डायमंड, उत्तराखंड एफ सी और उत्तरांचल हीरोज जैसे क्लबों का बड़ी ताक़त नहीं बन पाना हैरानी वाली बात है। संभवतया, एकजुटता की कमी बड़ा कारण हो सकती है। लेकिन अब चूंकि गढ़वाल हीरोज नें राष्ट्रीय स्तर पर दिल्ली और उत्तराखंड का झंडा थाम लिया है, ऐसे में राजधानी की फुटबाल में बदलाव की उम्मीद की जा रही है।
गढ़वाल हीरोज और अन्य बड़े क्लबों को सेवाएं देने वाले पूर्व चैम्पियनों गुमान सिंह रावत, भीम भंडारी, जीवा नंद, कमल जदली, हरेन्द्र नेगी, सुमेर नेगी, रघुवीर बिष्ट, मगन पटवाल, वाइ असवाल, रवीन्द्र रावत गुड्डू, रवि राणा आदि का मानना है कि गढ़वाल हीरोज को यदि फुटबाल में बड़ी ताक़त बनना है तो पेशेवर एप्रोच को प्राथमिकता बनाने की ज़रूरत है।
अधिकांश पूर्व खिलाड़ी टीम के प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं हैं। उन्हें लगता है कि हमारे खिलाड़ी अपने कौशल को भूल कर यूरोपियन फुटबाल की नकल कर रहे हैं, जिसके लिए ज़रा भी फिट नहीं हैं और अपना स्वाभाविक खेल भी नहीं खेल पाते। लेकिन उन्हें भरोसा है कि 1953 में स्थापित गढ़वाल हीरोज क्लब, चार अवसरों पर दिल्ली का लीग खिताब जीतने के बाद नयी उंचाइयां छू सकता है ज़रूरत सामूहिक प्रयास की है।