आज भारतीय जनता पार्टी को दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में जाना जाता है। इस पार्टी को सबसे बड़ी पार्टी बनाने के लिए अमित शाह को जन्मदिन की बहुत-बहुत मुबारकबाद। आज का दिन ना सिर्फ उन्हें मुबारकबाद पेश करने का है बल्कि आम कार्यकर्ता के लिए यह समझने का भी है कि अमित शाह होने वा उनकी जिम्मेवारियां होने का मतलब क्या है, क्योंकि वह हमारे ऐसे दुर्लभ नेता है जो साधारण कार्यकर्ता से राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद तक पहुंचे है। भारतीय जनता पार्टी का सौभाग्य है कि उनके जैसा अध्यक्ष पार्टी को मिला, जो बिना थके दिन में 20 से भी अधिक घंटे काम करता है। उनके अध्यक्ष कार्यकाल में देश के 19 राज्यों में बीजेपी की हुकूमत है। आपकों बताता हूं कि 2014 में जब शाह जी अध्यक्ष नहीं थे तब भी नरेंद्र मोदी जी की सरकार बनवाने में उनकी भूमिका अहम थी। 2014 में मोदी सरकार बनवाने की कमान जिन 5 लोगों के हाथ में थी उनमें से अमित शाह एक प्रमुख थे खासकर उन्होंने उत्तर प्रदेश और गुजरात में जो भूमिका उस समय निभाई उसने सरकार बनने में बड़ी मदद की।
मैं उन्हें भारतीय युवा मोर्चा के जमाने से जानता हूं मैंने उनका काम देखा है। शाह जी स्पष्टवादी व्यक्ति हैं उनके दिल, जुबान और चेहरे में कोई फर्क नहीं है। वह करेंगे सीधी तो स्पष्ट बात करेंगे। देश की राजनीति में तो लोग उनकी कार्यप्रणाली के मुरीद हैं लेकिन जानने वाले जानते हैं कि बहुत पहले से गुजरात के रणनीतिकार थे। कुछ लोग उन्हें भारतीय राजनीति का चाणक्य भी कहते हैं लेकिन मैं इससे थोड़ा अलग सोचता हूं चाणक्य सिर्फ नीतिकार थे, अमित शाह नीतिकार होने के साथ ही दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी के अध्यक्ष भी हैं। यानी उन्हें नीति बनानी ही नहीं उस नीति का सफल संचालन भी करना आता है। उनकी इन दोनों हिकमत को आप त्रिपुरा के चुनाव में देखिए जिस राज्य में हम जीरो पर थे उस राज्य में प्रचंड बहुमत से सरकार बना ली। अमित शाह की नीति है इसलिए मैं कहता हूं आने वाले दिनों में चाणक्य नीति के बाद दुनिया में अमित शाह की नीति की ही चर्चा होगी। त्रिपुरा और पूरे नॉर्थ ईस्ट में जिस तरह भाजपा बड़ी है उसके बाद कोई भी यही कहेगा कि अमित शाह ने असंभव को संभव कर दिखाया है।
अगर कोई मुझसे पूछे कि अमित शाह की परिभाषा क्या है तो मैं यही कहूंगा कि असंभव को संभव बनाना ही हमेशा होगा। इसकी दो मिसाल यहां रखता हूं केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार बनने के बाद हम दो चुनाव हारे बिहार और दिल्ली लेकिन शाह जी की खासियत यह है कि उन्होंने इस हार के बाद भी कार्यकर्ताओं में निराशा नहीं आने दी उन्होंने कार्यकर्ताओं का मनोबल नहीं टूटने दिया और पूरे प्रकरण को बदलने का काम किया। इसके साथ ही वे कमियों को स्वीकार करने वाले व्यक्ति हैं। उन्होंने बिहार की कमियां स्वीकार की और आगे बढ़े। शाह जी की ही नीति ही थी जिसने नीतीश कुमार को बीजेपी के साथ आने के लिए प्रेरित किया। पुराने को भुला कर आगे देखना उनकी रणनीति की सबसे बड़ी खासियत है।आज बिहार में हमारी सरकार है और दिल्ली में भी कार्यकर्ताओं का मनोबल ऊंचा है। मनोबल ऊंचा करने के लिए उन्होंने बीजेपी के संगठन में कुछ बुनियादी बदलाव भी किए हैं। अमित शाह के कार्यकाल से पहले बीजेपी प्रखंड अध्यक्ष और पंचायत अध्यक्ष से चलती है लेकिन बूथ अध्यक्ष से चल रही है।
बूथअध्यक्ष से राष्ट्रीय अध्यक्ष तक हर कोई बीजेपी को मजबूत कर रहा है। इसी तरह उन्होंने मिस कॉल से सदस्यता अभियान की शुरुआत भी की है। शुरू में कुछ लोगों ने इस अभियान की सफलता पर प्रश्नचिन्ह जरूर लगाए लेकिन दुनिया ने देखा कि ना सिर्फ यह अभियान सफल रहा बल्कि मिस कॉल से जुड़े कार्यकर्ताओं को वेरीफाई भी किया गया। इस तरह बीजेपी दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बन गई। मेरा बूथ सबसे मजबूत और बूथ जीतो, देश जीतों जैसे अभियान ने बीजेपी को अपराज्य बना दिया है। आज दुनिया दूसरी पार्टियों भी इस तरह के अभियानों की नकल करने को विवश हुई है। लेकिन इस पार्टियों की बदकिस्मती यह है कि उनके पास ना तो मोदी जी जैसा जनप्रिय नेता है और ना ही अमित शाह जैसा पार्टी अध्यक्ष । उनकी शख्सियत की खासियत है कि जब पूरा देश 2019 की बात कर रहा है तो वह अगले 50 साल की बात कर रहे हैं। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि अगर हमने 2019 को चुनाव जीत लिया तो अगले 50 साल तक बीजेपी को कोई चुनौती नहीं मिलने वाली है।
दीनदयाल जी ने भी कहा था कि हमारा लक्ष्य एक चुनाव जीतना नहीं बल्कि जनता का हिस्सा बनना है। हमारी पार्टी पहले से ही सबसे लोकतांत्रिक पार्टी है। हमारी विचारधारा सबको पसंद आती है। अब अमित शाह जी चाहते हैं कि जिस तरह जनता हम से जुड़ी है उसी तरह कार्यकर्ताओं के समूह भी जुट जाएं। अगर हर बूथ अध्यक्ष जनता से जुड़ा रहेगा तो ना सिर्फ हम जनता के बीच रहेंगे, तो हम कोई भी चुनाव नहीं हारेंगे। 50 साल तक चुनौती ना होने के उनके विचार की यही रहस्य है। रणनीति नेता और संगठन का ऐसा ढांचा बना देंगे जो लौह दुर्ग होगा। समाज का हर वर्ग पार्टी के संपर्क में रहेगा इसलिए अध्यक्ष जी ने कहा है कि बंगाल उड़ीसा और आंध्र प्रदेश में जीत हासिल करना हमारा तात्कालिक लक्ष्य है, जब इन राज्यों में सफलता नहीं मिलती तब तक शांत बैठने का सवाल ही नहीं उठता और मुझे नहीं लगता कि वह जो लक्ष्य तय कर रहे हैं उन्हें पाना कठिन नहीं है। मैं उनके जन्मदिन पर शुभकामनाएं देता हूं और उनकी दीर्घायु की कामना करता हूं।
शाहनवाज हुसैन
पूर्व केंद्रीय मंत्री, भारतीय जनता पार्टी